श्रीनगर 06 जून। पीएम मोदी शुक्रवार सुबह 11 बजे जम्मू में चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज का तिरंगा दिखाकर उद्घाटन किया। पीएम यहां करीब एक घंटा रहे। इस दौरान उनके साथ सीएम उमर अब्दुल्ला, एलजी मनोज सिन्हा, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह मौजूद रहे। इस दौरान वे रेलवे के अफसरों और ब्रिज बनाने वाले कर्मचारियों से मुलाकात की।
चिनाब आर्च ब्रिज से केबल स्टे अंजी ब्रिज इंजन में बैठकर पहुंचे। यहां उन्होंने अंजी ब्रिज का भी उद्घाटन किया। इस ब्रिज के उद्घाटन से अब कश्मीर घाटी पूरे साल के लिए देश के बाकी हिस्से जुड़ी रहेगी। इससे पहले सर्दियों के दिनों में बर्फबारी के कारण रोड बंद रखनी पड़ती थी।
इसके बाद पीएम कटरा रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे और कश्मीर को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाली कटरा-श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। इसके अलावा 46 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के अन्य डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। वे कटरा स्टेडियम में एक जनसभा भी करेंगे।
श्री माता वैष्णो देवी कटरा (एसवीडीके) से श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस के लोको पायलट रामपाल शर्मा कहते हैं, “यह हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है कि पीएम नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और भारतीय रेल कर्मचारियों ने एक सदियों पुराना सपना पूरा किया है। यह विशेष रूप से रेल इंजीनियरों के दृढ़ संकल्प, भक्ति और समर्पण से संभव हुआ है। यह कोई साधारण या आसान काम नहीं था। मार्ग बेहद चुनौतीपूर्ण है… यह वंदे भारत ट्रेन सभी आधुनिक सुविधाओं से भरपूर है। यह ट्रेन पूरे 12 महीने चलेगी.
वंदे भारत ट्रेन कल से शुरू होगी
नॉर्दर्न रेलवे 7 जून से कटरा-श्रीनगर रूट पर वंदे भारत ट्रेन सर्विस शुरू कर देगी। IRCTC की वेबसाइट पर टिकट बुकिंग की जा सकेगी। हफ्ते में 6 दिन दो ट्रेनें कटरा और श्रीनगर के बीच चलेंगी।
नॉर्दर्न रेलवे ने बताया कि ट्रेन में दो ट्रैवल क्लास हैं। चेयरकार का किराया 715 रुपए और एक्जीक्यूटिव क्लास का किराया 1320 रुपए है। अभी ट्रेनें सिर्फ बनिहाल में रुकेंगी, अन्य स्टॉपेज पर फैसला बाद में होगा।
10 घंटे का सफर करीब 3 घंटे में पूरा होगा आजादी के 77 साल बाद भी कश्मीर बर्फबारी के सीजन में देश के दूसरे हिस्सों से कट जाता है। नेशनल हाईवे-44 बंद होने से घाटी जाने का बंद हो जाता है। इसके अलावा भी सड़क के रास्ते जम्मू से कश्मीर जाने में 8 से 10 घंटे का समय लग जाता था। ट्रेन शुरू होने से यह सफर करीब तीन घंटे में पूरा हो जाएगा।
चिनाब रेल ब्रिज की खासीयत
जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में स्थित चिनाब नदी के ऊपर बने इस पुल को तैयार करना आसान काम नहीं था। क्योंकि यहां की भौगोलिक बनावट बेहद चुनौतीपूर्ण है — कहीं संकरे रास्ते हैं, कहीं तीखे मोड़ और कहीं गहरी खाइयां। ऐसी स्थिति में परंपरागत कैंटिलीवर, सस्पेंशन ब्रिज या केबल ब्रिज तकनीक से पुल बनाना मुश्किल होता।
इसलिए इंजीनियरों ने इसे स्टील आर्क डिज़ाइन पर तैयार करने का फैसला किया। यह एक ऐसा ढांचा है जिसमें पुल को धनुष जैसी लोहे की संरचना पर टिकाया जाता है। यह स्टील आर्क दोनों तरफ की पहाड़ियों पर आधारित है और पुल के बीचोंबीच 469 मीटर का हिस्सा इसी पर टिका है, जबकि बाकी हिस्सा मजबूत खंभों पर खड़ा किया गया है।
डिजाइन कनाडा से, निर्माण में शामिल कई देशों की कंपनियां
इस पुल का डिजाइन कनाडा की कंपनी WSP ने तैयार किया गया, जबकि सलाहकार के तौर पर जर्मनी की लियोनहार्ट एंड्रा भी इस प्रोजेक्ट में शामिल रही। निर्माण की जिम्मेदारी कोंकण रेलवे को दी गई, और इसे AFCONS इंफ्रास्ट्रक्चर, अल्ट्रा कंस्ट्रक्शन, दक्षिण कोरिया की एक इंजीनियरिंग कंपनी और भारत की VSL के साथ मिलकर पूरा किया गया।
हजारों फीट की ऊंचाई पर लगाया गया स्टील
पुल के निर्माण में 3000 फीट की ऊंचाई तक काम करने वाले केबल क्रेन्स का उपयोग किया गया, जिन्हें चिनाब नदी के दोनों किनारों पर स्थापित किया गया था। इन्हीं के जरिए स्टील के हिस्सों को एक-एक कर जोड़ते हुए पुल को आकार दिया गया।