सेना नौसेना और वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी हो या अन्य के निजी मामलों में बिना अनुमति के जानकारी सार्वजनिक न करने का मीडिया से किया अनुरोध सही समय पर सही निर्णय है। क्योंकि हमारी और देश की सीमाओं की सुरक्षा करने वालों से संबंध कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से सही है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान और बाद में सैन्य गतिविधियों से जुड़ी जानकारी देने के लिए कई अफसर मीडिया के सामने आए। जिन्हें लेकर निरंतर हो रही कवरेज और उनके परिवारों और निजी जिदंगी तक पहुंचने लगी है। कुछ लोग उनके आवास पर जाकर परिजनों से संपर्क साधने की कोशिश करने लगे हैं। इस प्रकरण में अधिकारिक नहीं व्यक्तिगत मुददों पर कवरेज की गई। इससे संबंध एक खबर के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारों की निजता को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को मीडिया को एक एडवाइजरी जारी की। इसमें कहा गया है कि कहानियों या साक्षात्कारों के लिए सेवारत या सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों के घरों या परिवारों से तब तक मिलने से परहेज करें, जब कि आपको स्पष्ट रूप से आमंत्रित न किया गया हो या आधिकारिक चौनलों से अनुमति न मिली हो।
एडवाइजरी में कहा गया है कि उनके घरों के पते, परिवार की तस्वीरों या ऐसी कोई भी जानकारी जो लोगों के लिए जरूरी नहीं है, उन्हें प्रकाशित और प्रसारित न करें। सैनिकों के परिवार की निजता का सम्मान करें।
इसमें कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय मीडिया द्वारा भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की गतिविधियों, उपलब्धियों और बलिदानों को दिखाने के प्रयासों की सराहना करता है। मीडिया की भूमिका लोगों को जानकारी देने और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति समझ बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण है।
हाल ही में जारी ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की भूमिका रही है। लेकिन अब यह देखा गया है कि मीडिया का फोकस उनके निजी जीवन और परिवारों की ओर भी बढ़ रहा है। कुछ मीडिया कर्मियों ने उनके घरों पर जाकर संपर्क करने या उनके परिवारों की जानकारी जुटाने की कोशिश की है। ऐसा करना पूरी तरह से अनुचित है और इससे अधिकारियों और उनके परिवारों की गरिमा, निजता और सुरक्षा को खतरा हो सकता है। अधिकारी भले ही सार्वजनिक भूमिका में हों, लेकिन उनके परिवार निजी हैं, उनका सम्मान और संवेदनशीलता जरूरी है। इसलिए, सभी मीडिया संगठनों से अनुरोध किया जाता है कि वे निम्नलिखित बातों का पालन करें-
सेवारत या सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों के घर या परिवार से बिना स्पष्ट आमंत्रण या आधिकारिक अनुमति के संपर्क न करें।
उनका निजी पता, परिवार की तस्वीरें या कोई भी ऐसी जानकारी जो जनता के हित में नहीं हो, उसे न दिखाएं और न छापें।
कवरेज को सिर्फ सेना की कार्यक्षमता और उनके अभियानों तक सीमित रखें। निजी जीवन से जुड़ी बातों पर अटकलबाजी या दखल न दें।
खासकर जब कोई ऑपरेशन चल रहा हो या सुरक्षा हालात संवेदनशील हों, तब निजता और गोपनीयता का विशेष ध्यान रखें।
मंत्रालय मीडिया के साथ पारदर्शी और सकारात्मक संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही सभी पत्रकारों से अपील करता है कि वे जिम्मेदार रिपोर्टिंग करें और देश की सेवा कर रहे लोगों और उनके परिवारों की निजता का सम्मान करें।
मेरा मानना है कि इसके साथ ही सप्लाई को लेकर और वाहनों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर जो ठेके छोड़े जाते हैं या प्राइवेट लोगेां से सप्लाई ली जाती है उनसे संबंध जाने आने वालों पर भी रक्षा मंत्रालय ध्यान दे क्योंकि इनकी पहुंच भी माल सप्लाई के दौरान काफी मजबूत हो जाती है जिसे न्यायसंगत नहीं कह सकते। सेना के परिवार व अधिकारी देश के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए यह एडवाइजरी सही है और गोपनीयता के लिए अन्य उपाय भी समय की मांग कही जा सकती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
खबरों को लेकर रक्षा मंत्रालय की एडवाइजरी, रक्षा मंत्रालय गोपनीयता बनाए रखने हेतु करे और भी उपाय
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