asd गॉल ब्लैडर कैंसर को शुरुआत में ही पहचान लेगा बायोमार्कर

गॉल ब्लैडर कैंसर को शुरुआत में ही पहचान लेगा बायोमार्कर

0

वाराणसी,04 जून। बीएचयू के चिकत्सा विज्ञान संस्थान के विज्ञानियो ने गॉल ब्लैडर कैंसर (पित्ताशय कैंसर) की शुरुआती स्टेज में पहचान के लिए जेनेटिक बायोमार्कर की खोज की है।

शोध के दौरान पांच ऐसे जीन भी मिले हैं, जो तीन समूहों में अलग तरह से काम कर रहे थे। इससे पता चलता है कि ये जीन कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। इससे मरीज को समय से इलाज मिल सकेगा और मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा। इस शोध की रिपोर्ट प्रतिष्ठित अंतरराषट्रीय स्प्रिंगर जर्नल में प्रकाशित हुई है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के जनरल सर्जरी विभाग की डॉ. रूही दीक्षित, ऑनकोलॉजी विभाग के प्रो. मनोज पांडेय और सर्जन डॉ. विजय कुमार शुक्ला ने संयुक्त रूप से शोध किया है। इसमें क्लेरियम डी तकनीक का उपयोग करके गॉलब्लैडर कैंसर, गॉलब्लैडर स्टोन (पथरी) और स्वस्थ ऊतकों की तुलना की गई। शोध में बीआरसीए- 2 और आरएडी 51बी जैसे दस मुख्य जीन पाए गए, जो कैंसर बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये जीन आमतौर पर शरीर के खराब डीएनए की मरम्मत करते हैं। जब ये ठीक से काम नहीं करते, तो कैंसर बढ़ा सकते हैं।

प्रो. मनोज पांडेय ने कहा कि अधिकतर मरीजों में गॉल स्टोन भी साथ मिलता है। शुरुआती अवस्था में कोई लक्षण न होने के कारण इस कैंसर का देरी से पता चलता है, और उस अवस्था में कोई इलाज न होने के कारण ज्यादातर मरीजों की 6-12 माह में मौत हो जाती हैं। ऐसे में इसकी बायोमार्कर के जरिये जल्दी पहचान की जा सकेगी।

यह भारत का पहला अध्ययन है, जिसमें कैंसर, पथरी और सामान्य ऊतकों की एक साथ तुलना की गई है। ये नए जीन बायोमार्कर की तरह काम कर सकते हैं, जो शरीर में कैंसर का संकेत देने में और इलाज चुनने में मदद करेंगे।

सीटी स्कैन से अंतर करना मुश्किल
प्रो. मनोज पांडेय ने कहा कि पथरी और गॉल ब्लैडर कैंसर की पहचान सीटी स्कैन से नहीं हो पाती है। क्योंकि पथरी पित्त की थैली को छोटी और उसकी दीवार को मोटा कर देती है। हालांकि इस बायोमार्कर से इसका पता आसानी लगाया जा सकेगा।

ट्यूमर से की गई जांच
प्रो. मनोज पांडेय ने बताया कि हमने 30 मरीजों पर शोध किया। मरीजों के ट्यूमर की जांच की गई। ट्यूमर की एक सेल में बीआरसीए-2 और आरएडी 51बी सहित अन्य दस जीन मिले। ये कैंसर बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

5% पित्ताशय कैंसर के मरीज
सर सुंदरलाल अस्पताल में आने वाले कैंसर मरीजों में करीब 5 फीसदी मरीज पित्त की थैली के कैंसर के होते हैं। यह कैंसर ज्यादातर 45 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाओं में पाया गया है, पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं में 5 गुना अधिक होता है।

Share.

Leave A Reply

sgmwin daftar slot gacor sgmwin sgmwin sgm234 sgm188 login sgm188 login sgm188 asia680 slot bet 200 asia680 asia680 sgm234 login sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin ASIA680 ASIA680