नगर निगम द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान जैसे सरकारी कार्यो के लिए सेवानिवृति लोगों की सेवाएं क्यों ली पहले तो यही चर्चा का विषय रहा क्येांकि नगर निगम के पास अपने लोगों की एक टीम है तो फिर इनका सहयोग क्यों लिया। हो सकता है निगम को इसमें कोई फायदा नजर आया हो मगर सवाल उठता है कि अतिक्रमण हटाओ टीम सिर्फ शहर के व्यापारियों और मुख्य बाजारों में ही अभियान क्यों चलाती है जबकि नगर निगम क्षेत्र में आने वाले सभी लिंक मार्गों पर निरंतर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। नाले नालियों और सरकारी भूमि पर अवैध दुकानें बनाकर लाखों रूप में बेची जा रही हैं। लेकिन पता नहीं क्या कारण है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान लिंक मार्गों की ओर क्यों नहीं मुड़ पा रहा। एक सज्जन का यह कहना सही है कि शहर में लोग जुर्माना दे देते हैं और अपना निर्माण भी हटा लेते हैं और ज्यादा मशक्कत भी टीम को नहीं करनी पड़ती लेकिन गांवों और लिंक मार्गों की तरफ यह जाते नहीं है इसलिए इन्हें पता नहीं कि वहां भी अतिक्रमण की समस्या हो सकती है। मेरा मानना है कि वह शहरों में अतिक्रमण हटाए लेकिन बेशकीमती सरकारी भूमि और नाले नाली घेरे जाने से राजस्व की जो चोरी हो रही है दूसरी तरफ इनकी सफाई भी नहीं होती और गंदगी से जो प्रदूषण फैलता है वो बीमारियों का कारण बनता है। महापौर जी और नगरायुक्त जी जनहित में लिंक मार्गों पर अतिक्रमण और अवैध कब्जों को हटाने का अभियान चलवाईये क्योंकि इससे आवागमन में परेशानी होती है और इस अतिक्रमण से गंदगी भी फैलती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महापौर जी शहर में ही नहीं, लिंक मार्गों पर भी हो रहा है अतिक्रमण, वहां भल अभियान शुरू कराइये
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