2020 के आसपास शुरू हुए कोरोना की बीमारी किस कारण थी उसके लिए कौन दोषी रहा। और आम आदमी को डराने में किसी का योगदान रहा या नहीं वो एक अलग बात थी लेकिन उस साल आम आदमी से खास तक ने इसमें कठिनाई झेली। लेकिन भगवान की मेहरबानी की थोड़े दिन बाद वो सही होना शुरू हुआ और कुछ समय पहले तक कोई इसकी कोई चर्चा सुनने को नहीं मिलती थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों से कोरोना को लेकर फिर चर्चा होने लगी है। बताते हैं कि सात दिनों में 752 नए मरीज जिनमें से सात की जान भी गई 1000 के पार पहुंचा आंकड़ा 300 के उभरने की बात सामने आ रही है। देश में 12 मरीजों में विदेश में फैले कोरोना के नए वेरिएंट मिले। अकेले दिल्ली में 104 केस इस बीमारी के मिल चुके हैं। एहतियात के तौर पर मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी में कोविड आइसोलेशन वार्ड तैयार किए जा रहे हैं और अस्पतालों में संदिग्ध मरीजों की कोविड मरीजों की जांच हो रही है। लेकिन इस सबके बावजूद यह अच्छी बात है कि कोविड के नए वेरिएंट घातक नहीं है लेकिन केस बढ़ रहे हैं। मगर साथ ही विशेषज्ञों की यह भी राय सामने आ रही है कि घबराने की बात नहीं है। कोरोना अधिकांश मामलों में सामान्य फलू जैसा दिख रहा है। इससे डरने जैसी कोई बात नहीं है। सावधान रहने की आवश्यकता है। लेकिन यह जो राय उभरकर आ रही है कि यह संक्रमण के मामलों में उछाल को लेकर स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि कोरोना कभी गायब नहीं हुआ था। हमें पहले जैसी गलती अब नहीं करनी है क्योंकि भले ही इसके नाम से खौफनाक माहौल बन रहा हो मगर सावधानी बरती गई तो डरने जेसी कोई बात नहीं है। अगर किसी को शक हो तो उसे जांच जरूर करानी चाहिए। तथा बुखार खांसी सांस लेने में तकलीफ या बहती नाक शरीर में दर्द गला खराब होना स्वाद महसूस ना होना का ध्यान रखें और किसी पर अगर शक है तो उससे दूरी बनाकर रखें। साबुन से हाथ धोएं और मास्क लगाए। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में ना रहे। डॉक्टरों और विशेषज्ञों की राय हमें जरूर माननी चाहिए। लेकिन एक बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि हर खांसी बुखार या जुकाम से अपने आप को कोरोना का मरीज समझने की भूल ना करे क्योंकि जब से होश संभाला तब से ध्यान है कि जो कोरोना को लेकर सिस्टम बताए जाते हैं साल में एक दो बार मेरे साथ हमेशा होते रहे लेकिन भगवान की मेहरबानी और डॉक्टरों के मार्गदर्शन से मुझे इससे पीड़ित नहीं होना पड़ा। जहां तक खांसी की बात है तो आपके कोई फंुसी भी निकल आती है तो जब तक वह ठीक नहाीं होती शरीर में दर्द भ्ीा रहेगा और बुखार भी रहेगा। इसलिए ऐसा होने पर कोरोना का मरीज होने का वहम ना पाले। डॉक्टर को जरूर दिखाए और जिसे दवाई लेने की आवश्यकता पड़े उसे महंगी दवाईयों की ओर ना जाकर प्रधानमंत्री योजना की दवाई खानी चाहिए बस इसके लिए दवाई का सॉल्ट जरूर चेक करा ले कि वो बदला हुआ ना हो।
बाकी देश में लोग दुघर्टना से भी मरते हैं। कैंसर और टीबी के मरीज भ्ीा खूब हैं और एडस से पीड़ित लोगों के बारे में सुनने को मिलता रहता है। इसलिए अभी तक अभी तक कोरोना के केस चिंता का विषय नहीं है। पूरे देश में 752 मरीजों का होना डराने वाली बात नहीं है। अभी यह भी तय नहीं है कि वो कोरोना के मरीज है। हमें हौंसले और आत्मविश्वास के साथ ऐसी बीमारियों का मुकाबला करने की आदत डालनी होगी। अभ्ी तक 50 लाख की आबादी में एक मरीज का होना सामने आ रहा है। मैं किसी पर आरोप नहीं लगा रहा लेकिन पिछली बार कोरोना की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की जांच अच्छे संस्थान से कराई जाए। अस्पतालों में मरीज भर्ती होते हैं तो सरकार जांच कराएं कि वह कोरोना पीड़ित हैं भी या नहीं। पूर्व में अस्पतालों में फर्जी मरीज भर्ती कर पैसा लेने की खबरें पढ़ने को मिली थी और एक प्रकार का आतंक जो फैला था उसे इसका जिम्मेदार कह सकते है। कुछ लोगों का कहना था कि कई लोग कोरोना को हौव्वा बनाने में लगे थे। कुछ पीड़ितों का यह कथन सही है कि सरकारी अस्पतालों में नींबू पानी के साथ गोली दी जाती थी तो हमे उसका सेवन करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। विशेषज्ञों के सुझावों को मानकर इस समस्या से छुटकारा पा सकते है। जो आया है उसे जाना भी है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कोरोना को खौफनाक ना बनाएं, घबराएं नहीं अपने डॉक्टर से सलाह लेकर एहतियात बरतें , यही इसका सबसे बड़ा इलाज हो सकता है
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