बच्चों और परिवार के बुजुर्गों के बीच बढ़ता विवाद पढ़ने वाली खबरों के अनुसार अब काफी कष्टकारक होता जा रहा है। क्योंकि इस मामले में कई लोग अपनी जान दे देते हैं तो कुछ बच्चे मां बाप को ही परेशानी में डाल देते हैं। जब इसके परिणाम आते हैं तो फिर गा्रमीण कहावत जब चिड़िया चुग गई खेत तो अब होता क्या है ।
आज समाचार पत्रों में एक खबर पढ़ने को मिली कि ट्रांसपोर्टर अमित मनचंदा घर पर सुसाइड नोट लिखकर घर छोड़कर चले गए। उसमें लिखा था कि बेटा मैं कहता ना था कि अगर मैं मरूंगा तो मेरी लाश भी तुम्हें नहीं मिलेगी। मेजर ध्यानचंद नगर निवासी ट्रांसपोर्टर अमित मनचंदा मामले में अब उनका बेटा कह रहा है कि मुझे माफ कर दो बेटा। अमित मनचंदा का क्या हुआ यह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन उनके जाने के बाद परिजनों को पता चल रहा है कि बुजुर्गों को परेशान करने के क्या परिणाम होते हैं और वो भी ऐसी परिस्थिति में जब परिवार के बुजुर्गों द्वारा किए गए बंटवारे में एक पक्ष को मिली संपत्ति उसे ना मिले और उसे पाने के लिए जमाने भर के चक्कर लगाने पड़े। पूरे प्रकरण में जाने का तो कोई लाभ नहीं है मगर यह प्रकरण हमें बताता हैं कि मां बाप पर ज्यादा दबाव डालना उचित नहीं है। अमित मनचंदा सकुशल घर लौट आए यह परिवार के साथ हम भी चाहते हैं क्योंकि अब शायद दोनों को ही विवाद से होने वाले नुकसान का अंदाजा हो चुका होगा।
दूसरी तरफ कानपुर निवासी एक बेटे ने अपने रिटायर इंस्पेक्टर पिता की विजीलेंस में शिकायत की। और उन पर आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा हो गया। अब विजीलेंस जांच कर रही है। दो साल की भागदौड़ के बाद खबर के अनुसार सेवानिवृत इंस्पेक्टर द्वारा अपने कार्यकाल में आय से करीब 1.05 करोड़ रूपये ज्यादा खर्च किए जाने का मामला सामने आया है। बताते हैं कि मूल रूप से जौनपुर जिले के रहने वाले इंस्पेक्टर जितेंद्र प्रताप सिंह 2016 में कानपुर आ गए थे। वह फिलहाल लखनउ में रह रहे हैं। उनके बेटे ने ही शिकायत की और फरवरी 2023 से चल रही जांच में जितेंद्र प्रताप सिंह ने एक करोड़, 68 लाख 47 हजार की आय अर्जित की थी मगर इस दौरान उन्होंने 2.74 लाख 14 हजार रूपये खर्च किए। इस मामले में जितेंद्र प्रताप के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी वो एक अलग बात है। लेकिन कोई बेटा अगर बाप के खिलाफ शिकायत कर रहा है तो किसी ना किसी के द्वारा तो एक दूसरे का उत्पीड़न किया जा रहा हो कि बेटा ही उनके मान सम्मान को खत्म करने का कारण बन रहा है।
मैं ना बाप को दोषी मानता हूं ना बेटे को क्योंकि यह जो हो रहा है यह ज्यादा धन कमाने सुविधा जुटाने और अन्य कारणों से परिवार में जो कलह उत्पन्न हो रही है वो ऐसे प्रकरणों का आधार हो सकती है। क्योंकि आए दिन लोगों के आत्महत्या करने या रिश्तेदारों को मारने की जो घटनाएं सामने आ रही है वो किसी के लिए हितकारी नहीं है। मुझे लगता है कि अगर हम पश्चिमी सभ्यता के पीछे भागना और दूसरों की सुविधाएं देखकर कुढ़ना या विवाद पैदा करना छोड़कर आपस में कोई हल निकाले तो ऐसी घटना शायद सुनने को नहीं मिलेगी और बाप बेटा खुशहाल रहेंगे। मान सम्मान बढ़ेगा।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
दूसरों की सुविधाएं और खर्च देखकर कुढ़ना बंद कर दें तो बाप बेटे व परिवार में होने वाले विवादों के नुकसान से बचा जा सकता है
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