प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री हर व्यक्ति को पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जगह जगह पानी की टंकियां बनवाई जा रही है। लेकिन जिलों में तैनात नगर निगम अधिकारियों को क्या कहें क्योंकि उन्हें ना सरकार की प्राथमिकता दिखाई देती है और ना नागरिकों की समस्याएं वरना जाग्रति विहार सेक्टर नौ में मेरठ पेयजल योजना के तहत बनाई गई पानी की टंकी 13 साल से खुद पानी की बूंद के लिए ना तरस रही होती। नगर निगम द्वारा इसमें पानी भरवाकर पेयजल उपलब्ध कराने की बजाय वार्ड 18 की 20 हजार से ज्यादा की आबादी और वार्ड 14 की जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिय गया है। अब कोई इनसे पूछे कि सरकार ने इतना पैसा खर्च कर टंकी बनवाई। वार्ड 18 के लोगों को भी पूरा पानी चाहिए। इनकी लापरवाही के चलते वार्ड 14 और 18 के नागरिक परेशान रहेंगे यह विश्वास से कहा जा सकता है। सवाल यह उठता है कि महापौर हर संभव व्यवस्था बनाने में लगे है। मौहल्लों का दौरा कर रहे हैं तो आखिर उन्होंने जागृति विहार के वार्ड 18 में बनी इस टंकी की ओर अभी तक रूख क्यों नहीं किया। जहां तक बात अफसरों की है तो वहां तक वो जाने नहीं देगे क्योंकि वह खुद जागरूक होते हो पानी की समस्या नहीं होती। जानकार बताते हैं कि पानी की टंकी देखरेख में अभाव में जर्जर होती जा रही है। यह भी कहना है कि इसमें दरारें पड़ रही है। यहां नलकूप भी चालू हालत में नही है। टंकी भरने के लिए लगी आधी पाइप लाइन गायब हो चुकी है। नगरायुक्त और उनके सहयोगियों ने इससे जनता का ध्यान हटाने के लिए दूसरी तरफ नागरिकों का रूख मोड़ दिया।
मंडलायुक्त जी 2012 मंे मेरठ पेयजल योजना के तहत नागरिकों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जागृति विहार सेक्टर नौ के पार्क में एक हजार किलोलीटर क्षमता की पानी की टंकी का निर्माण उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा किया गया था। उस वक्त 13 साल पहले चर्चा है कि टंकी निर्माण में और पेयजल लाइन डालने पर लगभग तीन करोड़ रूपये खर्च हुए थे। क्योंकि टंकी को गंगाजल पाइप लाइन से जोड़ने की योजना थी। लेकिन अधिकारियों की मेहरबानी के चलते पानी की टंकी भी खस्ताहाल होती जा रही है। नगरायुक्त सौरभ गंगवार कह रह हैं कि यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। जल निगम के अधिकारियों से बात की जाएगी और कोशिश कर पानी की टंकी जल्द चालू कराने का प्रयास किया जाएगा। नगरायुक्त जी यह तो हो सकता है कि आपकों इसका संज्ञान ना हो लेकिन जलकल विभाग में अधिकारी और कर्मचारी है। सरकार की मंशा को ध्यान में रखते हुए आप पार्षदों की बैठक बुलाकर उनसे आग्रह कर सकते थे कि यहां ऐसे कितने मामले है। और उनका पता कर समस्या का समाधान किया जाना चाहिए था। मेरठ मंडलायुक्त जी शहर में गंदगी के हालत करोड़ो रूपये खर्च होने के बाद भी स्मार्ट सिटी सिटी का दूर दूर तक पता ना होना और समस्याओं का हल ना होना यह बताता है कि जब तक आपके द्वारा ऐसे स्थलों का निरीक्षण खुद नहीं किया जाएगा तब तक निगम हो या जल निगम इसके अधिकारी अपने मंुह मिठठू बनते रहेंगे लेकिन योजनाओं का क्या हो रहा है उस और ध्यान नहीं देंगे। अगर मुददा सामने आ गया तो बड़ा सटीक जवाब है कि मेरे कार्यकाल की बात नहीं है। नगर निगम तो वही है। अफसर आते जाते रहते है। नया अफसर अगर दिलचस्पी दिखाए तो कमियों और परेशानियों का मामला पार्षद समझा सकते हैं लेकिन उन्हें विश्वास में तो लिया जाए। मुझे लगता है कि टंकी की इस हालत के लिए दोषी अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। और जल्द पानी की टंकी ये ही नहीं बाकी में भ्ीा कमी है तो उन्हें दूर कर संचालित कराया जाए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कमिश्नर साहब ध्यान दीजिए! 13 साल पहले 3 करोड़ की लागत से बनी पानी की टंकी हुई जर्जर, जिम्मेदार कौन
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