नई दिल्ली 28 अप्रैल। एनसीईआरटी ने सातवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक में बड़ा बदलाव किया है। अब छात्रों को मुगल और दिल्ली सल्तनत का इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा।
इसकी जगह सामाजिक विज्ञान की किताब ‘समाज का अध्ययन : भारत और उसके आगे’ में प्राचीन भारतीय राजवंशों जैसे मगध, मौर्य, शुंग और सातवाहन पर नए अध्याय होंगे, जिनका ध्यान भारतीय लोकाचार पर है। इसके अलावा महाकुम्भ, भूगोल, मेक इन इंडिया और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी सरकारी पहल पर केंद्रित नए अध्याय शामिल किए गए हैं।
इस सप्ताह जारी नई पाठ्यपुस्तकें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के अनुरूप हैं। एनसीईआरटी के अधिकारियों ने बताया कि यह पाठ्यपुस्तक का पहला भाग है, दूसरा भाग आगामी महीनों में आने की उम्मीद है। उन्होंने इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की कि हटाए गए हिस्से किताब के दूसरे भाग में बरकरार रखे जाएंगे या नहीं।
महाकुम्भ की व्यापकता
इस साल की शुरुआत में प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ मेले का भी पुस्तक में उल्लेख है। इसमें बताया गया है कि कैसे 66 करोड़ लोगों ने महाकुम्भ में भाग लिया। भगदड़ की घटना का कोई उल्लेख नहीं है, जिसमें 30 तीर्थयात्री मारे गए और कई घायल हो गए। नई पाठ्यपुस्तक में ‘मेक इन इंडिया’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘अटल सुरंग’ जैसी सरकारी पहल का संदर्भ भी शामिल किया गया है।
जवाहरलाल नेहरू का एक उद्धरण भी शामिल
पुस्तक में ‘भूमि कैसे पवित्र बनती है’ अध्याय है, जो इस्लाम, ईसाई, यहूदी, पारसी, हिंदू, बौद्ध, सिख धर्मों के लिए भारत और बाहर पवित्र स्थानों, तीर्थस्थलों पर है। इसमें ‘पवित्र भूगोल’ जैसी अवधारणाओं का परिचय है, जिसमें 12 ज्योतिर्लिंग, चारधाम, शक्तिपीठ आदि का विवरण है। पाठ में पं. नेहरू का उद्धरण भी है, जिन्होंने भारत को तीर्थस्थलों की भूमि वर्णित किया है।