प्रयागराज 26 अप्रैल। हाईस्कूल परीक्षा 2025 के परिणाम ने यूपी बोर्ड के 102 साल के इतिहास को बदल दिया। अबकी पहली बार 90 प्रतिशत से अधिक छात्र-छात्राएं पास हुए हैं। इससे पहले 2023 की बोर्ड में सर्वाधिक 89.78 फीसदी परीक्षार्थियों को सफलता मिली थी। 2025 की हाईस्कूल परीक्षा में पंजीकृत 2732165 विद्यार्थियों में से 2545815 परीक्षा में शामिल हुए और इनमें से 2294122 (90.11 प्रतिशत) पास हैं। परीक्षा में 1149984 छात्रों और 1144138 छात्राओं को सफलता मिली है। छात्रों का पास प्रतिशत 86.66 जबकि छात्राओं का पास प्रतिशत 93.87 है।
इससे पहले 2021 में हाईस्कूल के 99.53 प्रतिशत विद्यार्थी पास थे लेकिन चूंकि उस साल कोरोना के कारण परीक्षा नहीं हो सकी थी इसलिए परीक्षा के आधार पर सफलता की बात करें तो 2025 में हाईस्कूल के सर्वाधिक परीक्षार्थी पास हैं। वैसे तो 1923 से 2025 तक यूपी बोर्ड 103 परीक्षाएं करा चुका है लेकिन 2021 में कोरोना के कारण परीक्षा नहीं हुई इसलिए इस साल 102 साल की सफलता का रिकॉर्ड टूटा है। बोर्ड सचिव भगवती सिंह का कहना है कि हाईस्कूल के परीक्षार्थियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है इसलिए परिणाम भी अच्छा आया है।
इन वर्षों में 80 फीसदी से अधिक रहा परिणाम
वर्ष हाईस्कूल
2012 83.75
2013 86.63
2014 86.71
2015 83.74
2016 87.66
2017 81.18
2019 80.07
2020 83.31
2022 88.18
2023 89.78
2024 89.55
2025 90.11
इंटर में 1.62 लाख ससम्मान हुए पास
यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में सम्मिलित 25,98,560 परीक्षार्थियों में से 162128 (7.69 प्रतिशत) मेधावी ससम्मान पास हुए हैं। 2024 की तुलना में ससम्मान पास होने वाले मेधावियों की संख्या में कमी आई है। वहीं, प्रथम और द्वितीय श्रेणी में पास होने वाले विद्यार्थियों की संख्या में इस साल वृद्धि हुई है। 2025 की इंटर परीक्षा में 77849 (3.69 प्रतिशत) परीक्षार्थी तृतीय श्रेणी में पास हुए हैं। 2024 की इंटर परीक्षा में 3.56 प्रतिशत परीक्षार्थी तृतीय श्रेणी में सफल हुए थे।
कल्याण सिंह के समय में कम था परिणाम
पिछले चार दशकों का परिणाम देखें तो 1992 में कल्याण सिंह के कार्यकाल में सबसे कम परीक्षार्थी पास हुए थे। 1986 से अब तक रिकॉर्ड के अनुसार 1992 में हाईस्कूल के मात्र 14.70 प्रतिशत परीक्षार्थियों को ही सफलता मिली थी। उस साल 8.47 प्रतिशत छात्र और 36.44 फीसदी छात्राएं पास थीं। कई स्कूल ऐसे भी थे जहां के सभी बच्चे फेल हो गए थे। मोहल्लों में एक-दो बच्चे ही ऐसे थे जो पास हो सके थे। कुछ स्कूलों में एक-दुक्का छात्र ही पास हुए थे। उस परीक्षा में जो फर्स्ट डिवीजन में पास हुआ वह आज तक सिर गर्व से ऊंचा करके कहता है कि कल्याण सिंह के समय में हाईस्कूल में फर्स्ट डिविजन मिली थी।