नई दिल्ली 26 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के स्वतंत्रता सेनानी वीडी सावरकर से जुड़े बयान पर कड़ी आपत्ति जताई और उन्हें चेतावनी देते हुए कड़ी फटकार लगाई।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने वीडी सावरकर के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी से जुड़े मानहानि के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ जारी समन पर रोक लगाते हुए यह टिप्पणी की। कांग्रेस नेता ने स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को ‘अंग्रेजों का सेवक बताया’ था। शीर्ष कोर्ट ने कांग्रेस नेता को आगाह किया कि भविष्य में ऐसी टिप्पणी की तो अदालत ‘स्वतः संज्ञान’ लेकर कार्रवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 4 अप्रैल को राहुल के खिलाफ लखनऊ कोर्ट अदालत द्वारा जारी समन रद्द करने से इनकार कर दिया था।
बता दें कि पेशे से वकील लखनऊ निवासी नृपेंद्र पांडे ने राहुल के खिलाफ केस दायर किया है। उनकी याचिका पर लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने कांग्रेस नेता एवं रायबरेली सांसद राहुल गांधी पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने उन पर यह कार्रवाई लगातार पेशी से गायब रहने के लिए की थी। कोर्ट ने उन्हें हाजिर होने को लेकर चेतावनी भी जारी की थी।
राहुल गांधी ने सावरकर पर क्या की थी टिप्पणी?
दरअसल, महाराष्ट्र के अकोला जिले में 17 नवंबर, 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने एक रैली में सावरकर को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने मीडिया के सामने एक चिट्ठी दिखाते हुए कहा था कि यह चिट्ठी सावरकर ने अंग्रेजों को लिखी थी। इसमें उन्होंने खुद को अंग्रेजों का नौकर बने रहने की बात कही थी। साथ ही डरकर माफी भी मांगी थी। गांधी-नेहरू ने ऐसा नहीं किया, इसलिए वे सालों तक जेल में रहे।
राहुल ने कहा, ‘गांधी, नेहरू और पटेल सालों जेल में रहे और कोई चिट्ठी नहीं साइन की। सावरकर जी ने इस कागज पर साइन किया, उसका कारण डर था। अगर डरते नहीं तो कभी साइन नहीं करते। सावरकर ने जब साइन किया तो हिंदुस्तान के गांधी, पटेल को धोखा दिया था। उन लोगों से भी कहा कि गांधी और पटेल भी साइन कर दें।’
2023 में राहुल के खिलाफ एडवोकेट ने शिकायत दर्ज कराई 14 जून, 2023 को लखनऊ के रहने वाले एडवोकेट नृपेंद्र पांडे ने एडिशनल CJM की अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में पांडे ने आरोप लगाया कि राहुल ने अकोला में वीर सावरकर को ‘अंग्रेजों का नौकर’ और ‘पेंशनभोगी’ कहा था।
उन्होंने दावा किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक न्यूज चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल पत्रकारों के बीच पहले से तैयार प्रेस नोट भी बांटे गए थे। पांडे ने राहुल गांधी पर समाज में नफरत और अशांति फैलाने के इरादे से यह बयान देने का आरोप लगाया था।
ट्रायल कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में राहुल गांधी को समन भेजा था। कोर्ट ने कहा था कि कांग्रेस सांसद ने अपने भाषण के जरिए समाज में नफरत और दुर्भावना फैलाई है। उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 ए (शत्रुता को बढ़ावा देना) और 505 (सार्वजनिक शरारत) के तहत आरोप हैं।
ट्रायल कोर्ट ने मार्च, 2025 में कोर्ट में पेश नहीं होने के कारण राहुल गांधी पर 200 रुपए का जुर्माना भी लगाया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता नृपेंद्र पांडे को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 8 हफ्ते के बाद होगी।