नई दिल्ली 24 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इस हमले में 28 लोगों की मौत के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए 5 बड़े फैसले लिए गए। इन फैसलों का असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, कूटनीति और लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर सीधा पड़ सकता है।
सिंधु जल संधि पर रोक
भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला लिया है। यह संधि 65 साल पूर्व भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे को लेकर हुई थी। इसके तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का।
पाकिस्तान की 80% खेती इन्हीं पश्चिमी नदियों पर निर्भर है। पानी रोकने से पाकिस्तान में जल संकट, कृषि संकट और बिजली संकट पैदा हो सकता है। इससे वहां की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता पर गंभीर असर पड़ेगा।
अटारी-वाघा बॉर्डर बंद
भारत ने अटारी-वाघा चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। जो पाकिस्तानी नागरिक वैध दस्तावेजों के साथ भारत में हैं, उन्हें 1 मई से पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।
इससे न सिर्फ लोगों की आवाजाही रुकेगी, बल्कि सीमावर्ती व्यापार भी प्रभावित होगा। पाकिस्तान को भारत से मिलने वाले छोटे व्यापारिक सामान जैसे सेंधा नमक, चमड़ा, मुल्तानी मिट्टी और तांबे का सामान अब नहीं मिल पाएगा, जिससे वहां के छोटे व्यापारियों को बड़ा नुकसान होगा।
वीजा सेवाओं पर रोक
भारत ने पाकिस्तान के नागरिकों को दिए जा रहे SAARC वीजा छूट योजना (SVES) के तहत वीजा सेवा रोक दी है। पहले से जारी सभी वीजा रद्द कर दिए गए हैं और ऐसे वीजा पर भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने को कहा गया है।
इससे उन आतंकियों के प्रवेश पर रोक लगेगी जो धार्मिक यात्रा या पारिवारिक रिश्तेदारी के नाम पर भारत आते थे और आतंक फैलाते थे। यह फैसला भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
पाकिस्तानी डिफेंस एडवाइजर्स देश से बाहर
भारत सरकार ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात मिलिट्री, नेवी और एयरफोर्स एडवाइजर्स को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर दिया है। इन्हें एक हफ्ते के अंदर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है।
इसी तरह भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से भी रक्षा सलाहकारों और पांच सहयोगी स्टाफ को वापस बुलाने का निर्णय लिया है। इन सभी पदों को अब शून्य माना जाएगा। इसका असर भारत-पाकिस्तान के सैन्य और कूटनीतिक संवाद पर पड़ेगा।
उच्चायोगों में स्टाफ घटाया
भारत और पाकिस्तान दोनों के उच्चायोगों में स्टाफ की संख्या को 55 से घटाकर 30 कर दिया गया है। यह कटौती 1 मई 2025 से प्रभावी होगी। इससे दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक संवाद सीमित हो जाएगा और उच्चायोगों की कार्यक्षमता पर असर पड़ेगा।
पाकिस्तान को है फायदा
पाकिस्तान को इन नदियों के प्रवाह का 80 प्रतिशत पानी मिलता है। पंजाब और सिंध प्रांत की खेती इसी पानी पर निर्भर है।
पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा असर?
पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती योग्य भूमि सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर निर्भर है।
इस पानी का 93 फीसदी हिस्सा सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसके बिना खेती असंभव है।
23 प्रतिशत योगदान करता है कृषि क्षेत्र पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में, 68 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर
सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी पर निर्भर हैं पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची, लाहौर, मुल्तान।
सिंधु के पानी से चल रहे हैं पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसे पावर प्रोजेक्ट
पाकिस्तान में खाद्य उत्पादन में गिरावट आ सकती है, खाद्य सुरक्षा को खतरा।
पाकिस्तान की शहरी जल आपूर्ति रुक जाएगी, अशांति फैल जाएगी।
बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा, शहरी इलाकों में अंधेरा छा जाएगा।