asd 15 लाख घूस मामले में पूर्व जस्टिस निर्मल यादव बरी, 17 साल बाद आया फैसला

15 लाख घूस मामले में पूर्व जस्टिस निर्मल यादव बरी, 17 साल बाद आया फैसला

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चंडीगढ़ 29 मार्च। शहर के चर्चित जज नोट कांड में 17 साल बाद शनिवार को सीबीआइ कोर्ट ने आखिरकार फैसला सुना दिया। सीबीआइ जज अलका मलिक ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस निर्मल यादव को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस मामले में अन्य आरोपित दिल्ली के होटलियर रविंदर सिंह भसीन, कारोबारी राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है।

13 अगस्त 2008 को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट की जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर अचानक कोई 15 लाख के नोटों से भरा पैकेट ले आया था। आरोप थे कि ये रकम हरियाणा के तत्कालीन एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल ने अपने मुंशी के हाथ भिजवाई थी लेकिन वह गलती से ये रकम जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर देने चला गया। आरोप थे कि ये रकम जस्टिस निर्मल यादव को दी जानी थी, लेकिन 17 साल बाद भी सीबीआइ जस्टिस निर्मल यादव के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सकी।

दरअसल 15 लाख रुपये रिश्वत के थे, जो हरियाणा के तत्कालीन एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल ने कथित तौर पर जस्टिस निर्मल यादव को भेजे थे। बंसल का मुंशी गलती से ये रकम जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर ले आया, जिसके बाद जस्टिस निर्मल यादव और संजीव बंसल समेत कई बड़े कारोबारियों के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जस्टिस निर्मल यादव से जुड़े बहुचर्चित भ्रष्टाचार मामले में 29 मार्च 2025 को चंडीगढ़ स्थित CBI की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. बता दें कि यह मामला साल 2008 का है, जब जस्टिस यादव पर 15 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था. मामले के अुनसार, 15 लाख रुपये की राशि गलती से एक अन्य जज निर्मल कौर के घर पहुंच गई थी. CBI ने इस मामले की जांच शुरू की और लंबे समय तक चली कानूनी प्रक्रिया के बाद अब 17 साल बाद इस मामले में फैसला आया है. बता दें कि जस्टिस यादव (जो 2011 में उत्तराखंड हाईकोर्ट में स्थानांतरण के बाद सेवानिवृत्त हो गई थीं) पर यह आरोप था कि उन्होंने एक जमीन सौदे में पक्ष लेने के लिए रिश्वत मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उस वक्त उन्हें क्लीनचिट देते हुए ट्रांसफर की सिफारिश की थी, लेकिन CBI ने अपनी जांच जारी रखी थी. इस मामले में कई गवाहों और सबूतों के आधार पर सुनवाई हुई.

स्‍पेशल कोर्ट ने गवाहों की गवाही पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, इस केस में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जस्टिस निर्मल यादव, दिल्ली के होटल कारोबारी रविंदर सिंह भसीन, प्रॉपर्टी डीलर राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह आरोपी थे. इस केस के एक आरोपी संजीव बंसल की मौत हो चुकी है. सीबीआई कोर्ट में इस मामले की 300 से ज्यादा सुनवाई हो चुकी है और 76 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. हालांकि, मुकदमे के दौरान 10 गवाह अपने बयान से पलट गए.

गलत जज के घर आया था रिश्वत
हाईकोर्ट की जज रही जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से रिश्वत के 15 लाख रुपए पहुंच गए थे. CBI केस के मुताबिक, यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी. जस्टिस निर्मलजीत कौर के पीअन अमरीक सिंह ने 13 अगस्त 2008 को हुए इस प्रकरण की शिकायत दी थी. संजीव बंसल का मुंशी प्रकाश राम उनके घर प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचा था. उसने पीअन को कहा कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं, जो डिलिवर करने हैं. हालांकि, बैग में मोटी रकम थी. केस की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी.

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