हम घर आए मेहमान को स्वादिष्ट व्यंजन खिलाना चाहते हैं तो हमारी यह इच्छा जो डिलीवरी ब्वॉय पूरी करते हैं वो सभी सही हों यह दावा तो नहीं किया जा सकता लेकिन ज्यादातर सही होते हैं यह कई सालों से मंगाए जा रहे सामान की डिलीवरी को देखकर कहा जा सकता है। दोपहिया वाहन पर साफ ड्रेस पहनकर आने वाले इन डिलीवरी ब्वॉय को लेकर कुछ लोगों की राय अच्छी होती है और कुछ का व्यवहार असम्मानजनक होता है। क्येांकि इन्हें लगता है कि यह सामान लाने वाला मोटा माल कमा रहा है और मटरगस्ती कर रहा है। सामान लाने में लगता ही क्या है। मगर सही मायनो में देखे तो इनका दर्द आसानी से हमें दिखाई नहीं देता। बेरोजगारी की जिंदगी जी रहे ज्यादातर युवा जब कुछ नहीं मिलता तो प्रयास कर डिलीवरी मैन बनने की कोशिश करते हैं और आसानी से तो यह काम भी नहीं मिलता लेकिन जब मिलता है तो होटल रेस्त्रां से सामान लेकर डिलीवरी ब्वॉय चलता है तो कई कठिनाईयां इसके सामने होती है। रास्ते में जाम मिला और सामान समय से नहीं पहुंचाया तो ग्राहक की डाट सुनना और जो इन्सेटिव मिलता है वो कटने का खतरा और कभी कभी देर से आने पर लोग सामान ही वापस कर देते हैं तो कई मौकों पर दुर्घटना होने या जाम में फंस जाने से मंगाया गया सामान खराब हो गया तो उपभोक्ता उसे नहीं लेता और होटल वाले वापस लेते नहीं। वो जुर्माना भी डिलीवरी ब्वॉय पर ही पड़ जाता है।
वैसे तो इनकी समस्याएं आसानी से नजर नहीं आती है लेकिन कॉमेडियन कपिल शर्मा की एक फिल्म आई थी डिलीवरी ब्वॉय। उसमें जो समस्याएं देखने को मिली वो वाकई सही थी। क्योंकि ना तो इनके घर से आने और जाने का निश्चित समय होता है। पैसे कमाने के लिए यह छुटटी के बाद भी काम करने में पीछे नहीं रहते जिससे परिवारों में तनाव और बच्चे कभी कभी गलत राय बनाने से भी नहीं चूकते है। जिस भविष्य को लेकर यह आते हैं वो पढ़ाई के समय ना मिल पाने और अपनों से मिलकर बात करने मन बदलने का समय भी यह नहीं निकाल पाते। एक बार इस लाइन में घुसे तो आसानी से निकलने का मौका नहीं मिल पाता है।
1 मेरा मानना है कि इनके काम के घंटे और मेहनताना पूर्ण रूप से इन्हें मिले।
2 दूरी के हिसाब से वाहन भत्ता बढ़ाया जाए।
3 सामान बुक करते समय होटल संचालक बुक कराने वाले का पता और फोन नंबर सही लिखकर डिलीवरी ब्वॉय को दे।
4 थोड़ा समय देर हो जाने पर इन्सेटिव ना काटा जाए। उपभोक्ता की जिम्मेदारी हो कि जानबूझकर देर नहींे की है तो वो सामान वापस ना करे।
5 सुबह दस से रात दस बजे के बाद डिलीवरी के लिए मिलने वाला मेहनताना बढ़ाया जाए और होटल संचालक डिलीवरी ब्वॉय की दिक्कतों पर ध्यान दें।
6 डिलीवरी ब्वॉय का कंपनियां व्यापारी बीमा कराएं।
7 दुर्घटना हो जाने पर उसका इलाज कराने की जिम्मेदारी कंपनी की हो।
8 दोनो समय खाना और चाय इन्हें दी जाए। रात्रि भत्ता बढ़ाया जाए।
9 एक्सीडेंट में सामान टूटने पर वेतन ना काटा जाए।
10 इन्हंे भी इंसान समझकर इनके साथ व्यवहार हो।
स्मरण रहे कि कई डिलीवरी ब्वॉय भूखे प्यासे डिलीवरी करते रहते हैं। जिससे मानसिक तनाव से जो बीमारियां होती है वो इनका सारा बजट बिगाड़ देती है इसलिए डिलीवरी ब्वॉय अपना एक संगठन बनाएं या संस्था बनाकर आमदनी का कुछ हिस्सा जमा करें और डिलीवरी ब्वॉय को जब कोई समस्या हो तो उस समय उनकी मदद की जाए। जिससे डिलीवरी ब्वॉय कम पैसों में भी अच्छा जीवन जी सके और भविष्य सुधार सके। चाहे व्यापारी हो या उपभोक्ता अगर डिलीवरी ब्वॉय गलती करता है तो उसे खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए बाकी के साथ सामान्य नागरिक की भांति व्यवहार किया जाए तो मुझे लगता है कि यह डिलीवरी वाले भी खुशहाल जीवन जी सकते हैं। बस हमें इंसान समझकर देरी की सजा ना देने और इनकी शिकायत ना करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। क्योंकि यह डिलीवरी ब्वॉय जानबूझकर ऐसा काम नहीं करेंगे वो इनके मेहनताने में कटौती हो। अगर यह जाम में फंस जाए या दुर्घटना हो जाए तो इनकी क्या गलती हो सकती है। इसका समाधान सामान भेजने वाले को करना होगा। बस यह समझ लो कि इन डिलीवरी ब्वॉय को भी समस्याओं से जूझना पड़ता है। इन्हें जहां लिफ्ट की व्यवस्था है वहां इन्हें लिफ्ट से आने जाने की सुविधा मिले।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
डिलीवरी ब्वॉय स्पाइडर मैन नहीं होती इन्हें भी इंसान समझे, रास्ते में जाम और दुर्घटना का अंदेशा भी रहता है, राष्ट्रीय संगठन बनाएं
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