संभल 18 मार्च। उत्तर प्रदेश के संभल जिले के एक आयोजन को लेकर प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. संभल में होली के बाद होने वाले नेजा मेला पर प्रशासन ने रोक लगा दी है. बता दें कि सैयद सालार मसूद गाजी की याद में हर साल नेजा मेला होली के बाद के दूसरे मंगलवार को लगता था.
इसके पहले मंगलवार को मेले का झंडा लगाया जाता है. इस हिसाब से इस बार झंडा लगाने की परंपरा 18 मार्च को होनी थी. लेकिन, उसके पहले ही संभल प्रशासन ने इस आयोजन पर रोक लगा दी. इस आदेश के बाद संभल में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाला नेजा मेला इस साल नहीं होगा.
संभल प्रशासन ने नेजा मेला कमेटी से साफ कह दिया है कि लुटेरे के नाम पर किसी भी आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी. जिसने देश को लूटा उसके नाम पर मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा. अगर किसी ने भी नेजा मेले का झंडा गाड़ा तो वह राष्ट्रद्रोही कहलाएगा.
अधिकारी ने बताया कि किसी लुटेरे की याद में किसी भी तरह का मेले का आयोजन नहीं होगा। नगर ‘नेजा मेला’ कमेटी के अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूरी ने पत्रकारों से कहा कि यहां पर सैकड़ों वर्ष से मेले का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस वर्ष पुलिस अधिकारियों ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया कि सालार मसूद गाजी आक्रांता थे और उनकी याद में मेले का आयोजन नहीं होगा। शाहिद हुसैन ने कहा कि हम वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे और उनसे बात करेंगे।
अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश चंद्र ने बताया, “हमने मेला आयोजित करने की अनुमति नहीं दी क्योंकि मसूद गाजी लुटेरा और हत्यारा था इसलिए उसकी याद में कैसे मेला का आयोजन किया जा सकता है।”
बता दें कि संभल में होली के बाद दूसरे मंगलवार को सैयद सालार मसूद गाजी की याद में नेजा मेले का आयोजन होता था. जबकि होली के बाद पहले मंगलवार को नेजा मेले की ढाल गाढ़ी (झंडा लगाना) जाती थी. लेकिन, इस बार इस आयोजन को लेकर प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है.
कब लगने वाला था मेला?
मेला कमेटी ने 18 मार्च को मेले का झंडा गाड़ने और 25, 26, 27 मार्च को मेला लगाने का प्लान बनाया था, लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी है। संभल में नेजा मेला का इतिहास हजारों साल पुराना है। पृथ्वीराज की राजधानी संभल हुआ करती थी। यहीं लड़ाई के दौरान गाजी के कई साथी मारे गए थे, जिनकी मजार संभल में है। इसी वजह से यहां लंबे समय से मेले का आयोजन हो रहा था, लेकिन अब पुलिस की तरफ से साफ कर दिया गया है कि लूटने वालों के नाम पर मेले नहीं लगाए जा सकते हैं।