asd क्योंकि ठुमके मंत्री के कहने पर लगाए या तो तेजप्रताप को सुरक्षा उपलब्ध ना कराई जाए वरना सिपाही को भी किया जाए बहाल

क्योंकि ठुमके मंत्री के कहने पर लगाए या तो तेजप्रताप को सुरक्षा उपलब्ध ना कराई जाए वरना सिपाही को भी किया जाए बहाल

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देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पुलिसकर्मियों के बारे में भले ही यह किदवंती प्रचलित हो कि पैदा होने से लेकर मरने तक के कामों में उनकी भागीदारी और डंडा नजर आता है। यह भी सही है कि कुछ पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारियों और सीमा को भूल पुलिस नागरिक भाई-भाई के सिद्धांत पर ना चलकर बिना कारण उत्पीड़न करने में नहीं चूकते। लेकिन कुछ परिस्थितियां भी उनके लिए कठिनाईपूर्ण बन जाती है जिसके कारण उन्हें भी अपनी सोच तैयार करनी पड़ती है और कार्रवाई की मार झेलने के लिए भी तैयार रहना पड़ता है। वैसे तो राजनेताओं के बढ़ते प्रभाव से फिल्मों में जो दिखाया जाता है कि नेताओं पुलिस की कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है कि ईमानदार अफसरों के साथ ज्यादती हो रही है और वो लपेट में आते हैं तो जिनके कहने से करते हैं वो हाथ खड़े कर देते हैं। ऐसी ही घटना बिहार में बेताज बादशाह के रूप में स्थापित और लालू यादव और राबड़ी के हसनपुर से विधायक पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव के साथ तैनात सुरक्षाकर्मी दीपक के साथ हुआ लगता है। क्योंकि बीते दिनों होली के मौके पर अपने आवास पर सुरक्षा में तैनात कांस्टेबिल से तेजप्रताप ने कहा कि दीपक ठुमके लगाओ वरना सस्पेंड हो जाओगे और यह कहकर कि बुरा ना मानो होली है घुमाने का प्रयास किया हो लेकिन हुआ वही। सिपाही ने उनके दबाव में वर्दी में ठुमके लगाए और वह लाइन हाजिर हो गया। बताते हैं कि बिना पूर्ण कागज और बिना हेलमेट लगाए स्कूटर चला रहे तेजप्रताप का एक सिपाही द्वारा चालान कर उन पर लगभग चार हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया गया। इससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूर्व मंत्री होली के रंग में रंगे थे। अगर उनकी बात टालता तो शिकायत होने पर सुरक्षाकर्मी के खिलाफ कार्रवाई होनी थी और ठुमके लगा दिए तो लाइन हाजिर होना पड़ा। नियमानुसार वर्दी की गरिमा रखने हेतु इस प्रकार से नाचना तो उचित नहीं कह सकते लेकिन दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो होली का माहौल ही ऐसा होता है कि इसके गानों पर कोई भी थिरकने को मजबूर हो जाता है। यहां तो जिसकी सुरक्षा में लगे हैं वो ही इसके लिए दबाव डाल रहा है और ना मानने पर कार्रवाई की धौंस भी दे रहा है। उसके हटने पर तेजप्रताप को तो दूसरा सुरक्षाकर्मी मिल जाएगा लेकिन सिपाही दीपक की क्या गलती है जब सारा माहौल ही ऐसा है तो। मेरा मानना है कि या तो विधायक तेजप्रताप को अब सुरक्षा ही उपलब्ध ना कराई जाए। अगर ऐसा किया जाता है तो फिर सिपाही दीपक को ही तुरंत बहाल किया जाए क्योंकि उसके लाइन हाजिर रहने से सुरक्षाबल के जवानों का मनोबल कमजोर होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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