जिले के बाहरी क्षेत्र शताब्दीनगर में महाराजा अग्रसेन के नाम पर गठित ट्रस्ट द्वारा बीते दिनो मंदिर का भूमि पूजन आदि कराया गया। भविष्य में यहां एक अस्पताल और धर्मशाला भी बनाया जाना प्रस्तावित बताया जा रहा है। अगर ध्यान से देखें तो ज्ञानेंद्र अग्रवाल, गिरीश बंसल, जेपी अग्रवाल आदि का यह प्रयास अगर इसे लेकर जो बताया जा रहा है यह गरीबों को अच्छी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने और उनके उपयोग के लिए महाराजा अग्रसेन की नीति के तहत बनवाया जा रहा है तो इसे बहुत ही सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है।
दुनिया जानती है कि समाजवाद के पहले प्रणेता महाराज अग्रसेन रहे। उन्हें मैं इसलिए मानता हूं कि उनके द्वारा हर व्यक्ति को एक व्यवस्था में सेट करने हेतु आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को घर बनाने के लिए ईट और व्यापार के लिए रूपया दिया जाता था जिससे हर आदमी खुशहाल रहे और वैश्य समाज के प्रमुख लोग इसे मानते भी है। लेकिन आजकल शहर में इस काम के लिए बने ट्रस्ट को लेकर तरह तरह की चर्चाएं चल रही है इनमें सबसे महत्वपूर्ण विषय यह है कि 11-11 लाख लेकर या शिलान्यास के दौरान 2100 या उससे ज्यादा की धनराशि प्राप्त कर जो इस काम में लगाई जा रही है उसके लिए बने ट्रस्ट की स्थिति क्या होगी और इसके संचालन में कौन सा मापदंड अपनाया जाएगा। क्योंकि वर्तमान में जो पदाधिकारी बने हैं उनका कार्यकाल कितना होगा इनके चुनाव कितने वर्षों में हुआ करेंगे एक ट्रस्टी या अन्य लगातार कितने साल एक पद पर रह सकता है तथा उसके चुनाव या निर्णय लेने के लिए बनने वाली समिति के लोगों में 11 लाख देने वालों के अतिरिक्त अन्य चंदेदार भी शामिल होंगे या नहीं और होंगे तो उनकी क्या स्थिति होगी यह लोग जानना चाहते है। कई लोगों का कहना कि इसमें जो अस्पताल और धर्मशाला बनेंगी उसमें गरीबों और चंदा देने वालों की क्या व्यवस्था होगी यह भी बताना चाहिए। वैसे भी अपने संविधान के बारे में कोई संस्था खुलकर नहीं बताती है। लेकिन यह महाराजा अग्रसेन के नाम पर गठित है। कुछ लोगांे का कहना है कि इसके संविधान को एक बार सबसे साझा जरूर करना चाहिए।
कुछ लोगों का मानना है कि पुरानी संस्थाएं अपना कब्जा बनाए रखने हेतु नए सदस्य भी नहीं बनाना चाहती और कोई सवाल ना उठाए इसके लिए सदस्यता अब एक लाख या 50 हजार रूपये कर दी जाती है जिससे नए सदस्य ना बन पाए। सब जानते हें कि इन समितियों में वो लोग हैं जिन्होंने शुरूआती दौर में चंदा दिया और अब कब्जा लेकर बैठ गए और बच्चों को स्थापित करने की पृष्ठभूमि तैयार कर ली गई। लोगों का कहना है कि ट्रस्ट महाराजा अग्रसेन की नीतियों के अनुसार चलें। कुछ लोगों की जागीर बनकर ना रह जाए। जिस तरह लोगों को जोड़ा जा रहा है इसके ट्रस्टियों को आम नागरिकों की संतुष्टि और पारदर्शिता के लिए इसके नियमों और कार्यों के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से नागरिकों को जागरूक करे क्येांकि इस पर पैसा भी खर्च नहीं होगा। अगर ट्रस्टी अपनी फेसबुक के माध्यम से इसका प्रचार करेंगे तो हर व्यक्ति महाराजा अग्रसेन ट्रस्ट की कार्यप्रणाली के बारे में जान सकता है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महाराजा अग्रसेन ट्रस्ट एक पद पर कितने समय रह पाएगा पदाधिकारी, ट्रस्ट का संविधान क्या है इसे लेकर जारी चर्चा पर पूर्ण विराम लगाने के लिए सोशल मीडिया पर करें प्रचारित
0
Share.