लगभग पांच दशक पूर्व एक खबर समाचार पत्र में पढ़ी थी कि एक अंग्रेज भारत आया और जब यहां से लौटा तो अपने लोगों को बताया कि वहां के लोग बड़ी से बड़ी बातों को कुछ दिन में भूल जाते हैं। हम भारतवासी आशवान होते हैं। जो बीत गया उससे आगे बढ़कर सोचते हैं क्योंकि जीवन इससे समाप्त नहीं होता। कुछ मामलों में भूलने की आदत सही नहीं कही जा सकती। जैसे एक कार्यकाल मेरठ-मवाना कांग्रेस राज में और दो कार्यकाल मेरठ-हापुड़ लोकसभा सदस्य के रूप में जनमानस के निकट रहे राजेंद्र अग्रवाल के बारे में लोगांे का सांसद बने रहने के दौरान भी कहना था कि जब वह सांसद थे तब भी उन्हें खबर मिलनी चाहिए वह आयोजन में जरूर पहुंचते हैं और समस्याओं का निस्तारण हाथो हाथ करते है। यह मैंने खुद भी देखा कि कोरोनाकाल में सांसद अपने आवास पर बैठकर मेरठ की जनता की दिल्ली मुंबई चंडीगढ़ की समस्याओं का समाधान करते और कराते थे और वहां के अधिकारियों को टेलीफोन करते थे और मिलने आने वाले की परेशानी हल करने में अग्रणी रहे राजेंद्र अग्रवाल को वो लोग क्यों भूलते जा रहे हैं जो हमेशा अपने काम कराने और अपने यहां बुलाने में उन्हें शान समझते थे। यह विषय चर्चाओं का है। आज तीन चार लोगों से यह सुनने को मिला कि अभी तो उन्हें पूर्व सांसद हुए एक साल भी नहीं बीता कि नेता और उनके इर्द गिर्द रहने वाले क्यों भूलने लगे हैं। जब इसका कारण पूछा तो उनका कहना था कि त्योहारों के मौकों पर कंकरखेड़ा क्षेत्र के एक नेताजी ने पूरे पेज के बधाई विज्ञापन छपवाए लेकिन उनमें राजेंद्र अग्रवाल का फोटो नजर नहीं आया और अब शताब्दीनगर में करोड़ों रूपये लगाकर अग्रसेना सेवा ट्रस्ट द्वारा जो भव्य मंदिर बनाया जा रहा है उसके छह मार्च के शिलान्यास कार्यक्रम का जो विज्ञापन पूरे पेज का अखबारों में छपा उसमें ऐसे लगे की फोटो तो नजर आई जिन्हें कोई नहीं जानता और कुछ ऐसे भी हैं जिनका कोई इस प्रकार का वजूद नहीं है लेकिन वो तो इस विज्ञापन में दिखाई दिए मगर राजेंद्र अग्रवाल का फोटो नदारद दिखाई दिया। ऐसा क्यों हो रहा है यह तो जिम्मेदारेां को सोचना है लेकिन इसे राजेंद्र अग्रवाल की अहम रहित सोच का ही परिणाम कह सकते हैं कि वो इस कार्यक्रम में पहुंचे।
किस ने किस प्रकार से पैसा कमाया और अब नाम कमाने और प्रमुख दर्शाने के लिए फोटो छपवाने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि नागरिकों की निगाह में राजेंद्र अग्रवाल आज भी लोकप्रियता के मामले में किसी सांसद से कम नहीं है। आज भी ज्यादातर लोग अपने कार्यों को लेकर उन्हीं के पास पहुंचते है। वो उन्हें कराते भी है। यह सब लिखने का आश्य सिर्फ इतना है कि लोगों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि जो हमारे अपने हैं उन्हें नजरअंदाज ना किया जाए क्योंकि इससे कल हमारे बच्चे हमें ऐसे ही भूलने लग जाएं तो कोई ताज्जुब नहीं है।
डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी दिखाई नहीं दिए
उप्र भाजपा का अध्यक्ष यूपी में मंत्री रहे और वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी सर्वमान्य नेता के रूप में माने जाते हैं। यह तो मैंने भी देखा कि इस आयोजन में डॉ. लक्ष्मीकांत भी मौजूद नहीं थे। अगर वह शहर में थे तो उन्हें यहां होना चाहिए। यह अलग बात है कि आयेाजकों ने कहीं उन्हें भी राजेंद्र अग्रवाल की तरह भूला ना दिया हो। डॉ. वाजपेयी ऐसी छवि के नेता हैं जिनके लिए कोई काम मुश्किल नहीं है और कोई अधिकारी उनकी बात नहीं टाल सकता। महाराजा अग्रसेन मंदिर का निर्माण सबकी व्यवस्था के तहत है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अग्रसैन सेवा ट्रस्ट के मंदिर शिलान्यास विज्ञापन में राजेंद्र अग्रवाल का नाम और फोटो ना होना है चर्चा का विषय
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