कई सालों तक सत्ता से बाहर रहने और खिसकते जनाधार को वापस लाने एवं अपने मतदाताओं का भरोसा जीतने के लिए प्रदेश की पूर्व सीएम बसपा प्रमुख मायावती द्वारा रिश्तों की मोहमाया को त्याग पार्टी और अपने वर्चस्व को बचाने के लिए लगता है दूसरी बार भी ज्यादा समय तक अपने भतीजे आकाश पर भरोसा नहीं कर पाईं और उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं लगाई। इस निर्णय को देखकर बसपा प्रमुख के शुरूआती दौर की याद आ गई कि वो किस प्रकार से किसी भी मामले में तुरंत निर्णय लेने और कार्रवाई करने में देर नहीं लगाती थी। भतीजे आकाश को हटाने के साथ साथ उनके द्वारा जो अपने पुरानी व्यवस्था उसे देखकर विश्वास करते हुए निर्णय लेकर भाई आनंद कुमार और रामजी गौतम को देशभर में पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है यह विश्वास के साथ कह सकते हैं कि उससे कम या ज्यादा बसपा का जनाधार बढ़ेगा क्योंकि आकाश को हटाने के साथ साथ यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अब कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। पूर्व एमएलसी बसपा के कई पदों पर रहकर मायावती का विश्वास जीतने और मतदाताओं पर अपनी पकड़ बनाने व खिसकते जनाधार को रोकने में सफल रहे अतर सिंह राव को केंद्रीय स्टेट कॉर्डिनेटर बनाकर जो नई जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई हैं उस पर वो खरे उतरंेगे। यह बात पार्टी के कार्यकर्ता भी खूब समझ रहे हैं। इसलिए यह कह सकते हैं कि अब जो उन्हें उड़ीसा व पश्चिम बंगाल का कॉर्डिनेटर बनाकर जिम्मेदारी दी गई वह उस पर खरे उतरेंगे। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी संगठन की समीक्षा के बाद पूर्व एमएलसी अतर सिंह राव को बड़ी जिम्मेदारी दी है। अतर सिंह राव को केन्द्रीय स्टेट कोर्डिनेटर बनाते हुए पश्चिम बंगाल और उड़ीसा राज्य की जिम्मेदारी दी गई है।
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में गत दिवस पार्टी संगठन की आल-इंडिया की समीक्षा बैठक की। राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव करते हुए स्टेट कोर्डिनेटर में भी बदलाव किए। केंद्रीय स्टेट कोर्डिनेटर को इधर से उधर किया है। मेरठ के पूर्व एमएलसी अतर सिंह राव पर विश्वास जताते हुए उनका प्रमोशन किया है। लखनऊ मंडल प्रभारी पद से हटाकर पार्टी का केंद्रीय स्टेट कोआर्डिनेटर एवं उड़ीसा प्रदेश व पश्चिम बंगाल प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। बीते दिवस यूपी की राजनीति में पूरे दमखम के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और अन्य प्रदेशों में जो कमजोरी दिखाई दे रही थी उसके साथ ही राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुखता से कदम बढ़ाने के लिए जो यह निर्णय पूर्व सीएम मायावती द्वारा लिया गया है उससे लगता है कि अब विपक्षी दलों को भी आपस में और आत्मविश्वास और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ना होगा। क्यांेकि यूपी में कांग्रेस का तो कोई विशेष असर पहले से ही नहीं है और सपा को बसपा सुप्रीमो की सक्रियता से असर जरूर पड़ेगा और केंद्र की राजनीति में भी कांग्रेस को सत्ता प्राप्त करने या विपक्ष में बने रहने के लिए आगे अपने नेताओं कार्यकर्ताओं को पूरे जोश से काम करने हेतु तैयार करना होगा वरना अगर बसपा प्रमुख विपक्षी दलोें से समझौता कर गठबंधन में शामिल नहीं होती तो वह यूपी समेत अन्य राज्यों में उस स्थिति को बहाल करने के लिए साम दाम दंड भेद की नीति अपनाने में पीछे नहीं रहेंगी जो उनकी पहले होती थी।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
बसपा को मजबूत करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने किया मोह माया का त्याग, आनंद और रामजी गौतम का दी बड़ी जिम्मेदारी, अतर सिंह राव को मिला वफादारी का इनाम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के प्रभारी बने
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