asd जीएसटी मामलों में अग्रिम जमानत का हक : कोर्ट

जीएसटी मामलों में अग्रिम जमानत का हक : कोर्ट

0

नई दिल्ली 28 फरवरी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जीएसटी और सीमा शुल्क अधिनियम के तहत अधिकारियों को दी गई गिरफ्तारी की शक्ति पर अहम फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि इन कानूनों के उल्लंघन के मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत का हक है। वह राहत पाने के लिए अदालत का रुख कर सकता है, भले ही उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज न हुई हो।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने यह फैसला दिया। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति को जीएसटी या सीमा शुल्क कानून के तहत गिरफ्तारी का डर है, तो वह अग्रिम जमानत के लिए संबंधित अदालत में अर्जी दाखिल कर सकता है, भले ही प्राथमिकी दर्ज न हुई हो। पीठ ने कहा कि अग्रिम जमानत से जुड़ा कानून सीआरपीसी (अब बीएनएसएस) के प्रावधान जीएसटी अधिनियम और सीमा शुल्क अधिनियम में लागू होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संज्ञेय और असंज्ञेय अपराधों के मामले में गिरफ्तारी का आदेश पारित करने के लिए अधिकारी को विश्वसनीय कारण और संतोषजनक रूप से यह दिखाना होगा कि गिरफ्तार व्यक्ति ने गैर-जमानती अपराध किया है। पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी। पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी केवल संदेह के आधार पर नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।

पीठ ने फैसले में इस बात पर जोर दिया है कि जीएसटी अधिनियम के तहत कोई निजी शिकायत नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी सवाल तय करते हुए, अब सभी मामलों में आगे की सुनवाई के लिए 17 मार्च को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।

गिरफ्तारी की शक्ति बरकरार रखा
शीर्ष अदालत ने जीएसटी अधिनियम और सीमा शुल्क अधिनियम मामले में अधिकारियों को गिरफ्तारी की शक्ति प्रदान करने वाले प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। पीठ ने कहा कि जीएसटी लगाने और संग्रह करने तथा इसकी चोरी रोकने के लिए सजा या अभियोजन तंत्र विधायी शक्ति का अनुमेय प्रयोग है। शीर्ष अदालत ने जीएसटी अधिनियम की धारा 69 और 70 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली मांग खारिज कर दी।

भुगतान के लिए गिरफ्तारी की धमकी स्वीकार्य नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के इस आरोप में कुछ दम है कि अफसर गिरफ्तारी की धमकी देकर जीएसटी भुगतान के लिए मजबूर करते हैं। कोर्ट ने साफ किया कि अफसरों की ऐसी प्रवृति स्वीकार नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पेश आंकड़ों के आधार पर ये टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि कोई व्यक्ति जीएसटी भुगतान के लिए मजबूर महसूस कर रहा है, तो वह अपने द्वारा चुकाए गए कर की वापसी के लिए संबंधित अदालत का रुख कर सकते हैं।

कोई परेशानी न हो
सर्वोच्च अदालत ने निर्देश दिया कि कर भुगतान में दबाव के आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति न्याय पाने के लिए अदालत जा सकते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि जीएसटी अधिनियम में गिरफ्तारी के प्रावधानों में अस्पष्टता के कारण कारोबारियों या नागरिकों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

Share.

Leave A Reply

sgmwin daftar slot gacor sgmwin sgmwin sgm234 sgm188 login sgm188 login sgm188 asia680 slot bet 200 asia680 asia680 sgm234 login sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin ASIA680 ASIA680