आप प्रवक्ता नील गर्ग भले ही इस बात को खारिज कर रहे हो कि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को पंजाब से राज्यसभा में भेजने की चल रही है तैयारी। लेकिन मुझे लगता है कि दो बार दिल्ली के सीएम रहे और इसके साथ ही पंजाब में अपनी पार्टी की सरकार बनाने में सफल आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को देश की राजनीति की मुख्यधारा से जुड़े रहने के साथ साथ संसद सदस्य अनिवार्य रूप से होना चाहिए। पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता सरदार विक्रम सिंह मजीठिया का कहना है कि अरविंद केजरीवाल सत्ता के भूखे हैं। राज्यसभा का नामांकन चाहते हैं। तो भाजपा के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा का कहना है कि पंजाबी कभी पूरा नहीं होने देंगे केजरीवाल का राज्यसभा जाने का सपना। उनकी कोशिश नाकाम होगी। सिरसा का भी कहना है कि केजरीवाल सत्ता के भूखे हैं। उन्होंने पंजाब की जनता से लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में उम्मीदवार बनाए गए राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा की हार सुनिश्चित करने के लिए केजरीवाल के राज्यसभा में जाने का रास्ता रोकने का आग्रह किया है। सवाल यह उठता है कि अगर केजरीवाल सत्ता के भूखे होते तो जेल से आने के बाद वो स्वयं दिल्ली के सीएम बनते। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। जो कह रहा है मुझे लगता है कि उसमें दमखम नहीं है। क्योंकि अगर किसी वजह से संजीव अरोड़ा चुनाव हार भी जाते हैं तो सिरसा और मजीठिया को यह समझ लेना चाहिए कि अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी के राष्ट्रीय नेता हैं और उन्होंने अपने दम पर पार्टी खड़ी की है। अगर उन्हें राज्यसभा में जाना होगा तो हारने के बाद भी संजीव अरोड़ा इस्तीफा देकर उनके राज्यसभा में जाने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात राजनीति में जो व्यक्ति शुरू में सक्रिय होता है तो वो भी यही सपने देखता है कि आगे चलकर वो पार्टी में प्रमुख स्थान प्राप्त करेगा। तो फिर अरविंद केजरीवाल तो बड़े नेता हैं। उनके कार्यकर्ता चाहते हैं कि वो राज्यसभा में जाएं और देश की समस्याओं से संबंध और विकास के लिए जाने वाले निर्णयों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। मेरा कहना है कि आप कार्यकर्ताओं की भावनाओं को सम्मान देते हुए अरविंद केजरीवाल को राज्यसभा में पंजाब से जाने में कोई आनाकानी नहीं करनी चाहिए। पंजाब सरकार को विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन से खाली हुई सीट पर उद्योगपति संजीव अरोड़ा को चुनाव जिताना चाहिए। क्योंकि बड़े नेता को संसद में अवश्य होना चाहिए क्योंकि तभी वो अपनी पार्टी की नीतियों और जनता से लिए वादों को पूरा करने में सफल हो सकता है। इसलिए क्या होगा को छोड़कर अरविंद केजरीवाल को राज्यसभा में जाने की तैयारी करनी चाहिए।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
देशहित में लिए जाने वाले निर्णयों में सहभागिता हेतु अरविंद केजरीवाल को राज्यसभा में जाने में नहीं करनी चाहिए देरी, विपक्ष क्या कहता है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता
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