महाराष्ट्र के शेर कहे जाने वाले बाला साहब ठाकरे के बाद उनके पुत्र उद्धव ठाकरे व भतीजे राज ठाकरे के बीच पैदा हुए राजनीतिक मनमुटाव के बाद दो भागों में बांटे शिवसेना कार्यकर्ता महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना में बंट गए। तो यह पक्का था कि राजनीतिक ताकत और वर्चस्व बाल ठाकरे के सामने महाराष्ट्र में शिवसेना का बना था उसमें कमी आई जिसे शिवसैनिक मानते भी है और यह चाहते भी हैं कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक हो जाएं और बाल ठाकरे के अभियान को आगे बढ़ाएं। पिछले कई सालों के बाद बीते रविवार अंधेरी में एक सरकारी अधिकारी के बेटे के विवाह समारोह में दोनों भाई दिखाई दिए। इस दौरान कोई मुलाकात का पता नहीं चल पाया। यह भी चर्चा है कि पिछले दो माह में यह तीसरा मौका था जब दोनों भाईयों की सार्वजनिक रूप से मुलाकात हुई। इसका कोई परिणाम तो सामने नहीं आया है लेकिन राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि अगर यह सिलसिला आगे चला तो दोनों के संबंधों में मधुरता आ सकती है। भले ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना का आपस में विलय हो या ना हो लेकिन बाल ठाकरे का सपना साकार करने के लिए दोनों भाई बीएमसी के होने वाले चुनाव में अपने मतभेद खत्म कर एक साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो तो शिवसैनिकों और हिंदुवादी लोगों की भी यह राय है कि एक बार फिर बाला साहेब ठाकरे की विजय पताका फहराने में राज और उद्धव ठाकरे सफल हो सकते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महाराष्ट्र में ठाकरे बंधुओं की मुलाकात ऐसी ही होती रही तो निगम चुनाव में फहरा सकता है ठाकरे बंधुओं की पताका
0
Share.