सूरजपाल उर्फ भोले बाबा की दो जुलाई 2024 को हाथरस में हुए सत्संग में मची भगदड़ जिसमें 121 लोगों की मौत और काफी संख्या में लोग घायल हुए थे की जांच में बाबा को क्लीन चिट दिया जाना समझ से बाहर की बात नजर आती है। जहां तक पुलिस की बात है तो ऐसी भीड़ में उसे बहुत बिंदुओं पर निगाह रखनी पड़ती है लेकिन भीड़ और आयोजक उसकी बात सुनने को तैयार नहीं होते होते। ऐसे में आयोजक और कथा करने वालंे संतों की जिम्मेदारी है कि वह भक्तों को नियंत्रित करे। कांग्रेस नेता अनुराधा मिश्रा का यह कहना सही है कि बाबा को मिली क्लीन चिट और आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में रखी जाए और इस पर चर्चा हो क्योंकि क्लीन चिट देने का कोई औचित्य नहीं है। अनुराधा और क्लीन चिट की बात पर सरकार को ध्यान देना है कि ऐसी घटनाओं की पृनरावृति रोकने के लिए क्या करना चाहिए लेकिन एक बात समझ से बाहर है कि पिछले दिनों पुष्पा-2 की लांचिंग के दौरान मची भगदड़ में अभिनेता अल्लू अर्जुन के खिलाफ कार्रवाई हुई और जो व्यक्ति मरा उसके परिवार को अल्लू अर्जुन द्वारा दो करोड़ की सहायता भी दी गई। अब अगर सूरजपाल उर्फ भोले बाबा और आयोजक जिम्मेदार नहीं है तो अल्लू अर्जुन के साथ ही पुलिस का यह व्यवहार क्यों हुआ। देश में नियम समान है और सरकार भी उसी को ध्यान में रखकर कार्रवाई करती है। ऐेसे में जहां तक मुझे समझ आता है यह दोनों बात एक साथ चलना मुश्किल है। या तो अल्लू अर्जुन को कार्रवाई से मुक्त रखा जाना चाहिए था वरना सूरजपाल को क्लीन चिट नहीं दी जानी चाहिए थी। इसका भविष्य में गलत असर पड़ सकता है क्योंकि ऐसे मामलों में पुलिस कार्रवाई करती है तो नागरिक आवाज उठा सकते हैं और इस क्लीन चिट का हवाला देकर कार्रवाई से मुक्ति की मांग कर सकते हैं। वैसे भी आए दिन कथाओं में होेने वाली भगदड़ को रोकने की मांग उठ रही है। इसलिए मैं क्लीन चिट पर कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन ऐेसे मामलों को लेकर कोई गलत संदेश ना जाए इसलिए नागरिकों की इस मांग को उचित समझता हूं कि हाथरस भगदड़ की रिपोर्ट पर विधानसभा और संसद में चर्चा हो।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
संविधान का सम्मान बना रहे हाथरस भगदड़ जैसे प्रकरणों पर विधानसभा और संसद में हो चर्चा
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