नई दिल्ली 22 फरवरी। जांच एजेंसी ईडी ने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इंडिया न्यूज संस्थान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों के कथित उल्लंघन के लिए संस्थान पर करीब तीन करोड़ 44 लाख 48 हजार से ज्यादा रुपए की पेनल्टी लगाई है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर्स के खिलाफ एक आदेश जारी करते हुए इसके तीन निदेशकों पर 1.14 करोड़ रुपए से अधिक का जुर्माना भी लगाया.
फेमा कानून कानून के तहत विभिन्न “उल्लंघनों” के लिए 4 अगस्त, 2023 को बीबीसी डब्ल्यूएस इंडिया, इसके तीन निदेशकों और फाइनेंस चीफ को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बाद कार्यवाही शुरू की गई थी.
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इंडिया पर डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश की सीमा का नियम लगाने के बाद भी सौ प्रतिशत विदेशी निवेश जारी रखने का आरोप है। ईडी की ओर से 21 फरवरी को जारी आदेश के अनुसार, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इंडिया पर पेनाल्टी नहीं जमा करने की स्थिति में प्रतिदिन पांच हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान है। यह जुर्माने की राशि 15 अक्टूबर, 2021 से ली जाएगी।
दरअसल, डिपार्टमेंट आफ प्रमोशन आफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड ने 18 सितंबर, 2019 को प्रेस नोट जारी कर डिजिटल मीडिया में विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत निर्धारित किए जाने की जानकारी दी थी। इसी प्रेस नोट में कंपनियों को नए नियम के मुताबिक विदेशी निवेश को 26 प्रतिशत तक लाने के लिए 15 अक्टूबर, 2021 तक का समय दिया गया था। लेकिन बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इंडिया के निदेशकों ने जानबूझकर इस समयसीमा का उल्लंघन किया और 100 प्रतिशत विदेशी निवेश जारी रखा।
ईडी के आदेश के अनुसार, अब बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इंडिया को 15 अक्टूबर, 2021 के बाद पेनाल्टी की पूरी रकम 3.44 करोड़ रुपये जमा करने के दिन तक प्रतिदिन पांच हजार रुपये के हिसाब से जुर्माना भी देना होगा। बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इंडिया के तत्कालीन तीनों निदेशकों गिल्स एंटनी हंट, इंदु शेखर सिन्हा और पाल मिशेल गिबन्स को विदेशी निवेश के नए नियम का जानबूझकर पालन नहीं करने का दोषी पाया गया है।
इसे देखते हुए ईडी ने इन तीनों पर अलग-अलग पेनाल्टी लगाने का फैसला किया। दरअसल, ईडी ने चार अक्टूबर, 2023 को बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इंडिया और उसके तीनों निदेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। लेकिन वे 26 प्रतिशत विदेशी निवेश की सीमा का पालन नहीं करने का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।