पूरी तैयारी और जनहित की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए यूपी सरकार द्वारा बीते दिवस आठ लाख आठ हजार करोड़ का बजट पेश किया गया जिसका सत्ताधारी दल के मंत्रियों और नेताओं ने जमकर स्वागत किया। तथा पार्टी और उसके सहयोगी दल के नेता कार्यकर्ता बजट को आम आदमी के हित का बता रहे हैं। तो विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार का नौंवा बजट बहुत बड़ा ढोल है जिसमें आवाज तो बहुत है मगर अंदर से खोखला है। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि बजट में महंगाई गरीबी बेरेाजगारी पिछड़ेपन को दूर करने और आम आमदी की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त सरकारी नीति का अभाव है।
सत्ता पक्ष को जो कहना चाहिए वो कह रहा है और विपक्ष के नेता भी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं लेकिन सरकार ने कई माह की तैयारियों के बाद बजट पेश किया है तो यह कोशिश जरूर की होगी कि 2027 में होने वाले लोकसभा चुनाव में आम मतदाता को इसमें कोई कमी नजर ना आए इसलिए यह कह सकते है कि सरकार ने अपने हिसाब से पूरी तैयारी और जनहित की सोचकर बजट पेश किया है। मगर एक बात जो समझ से बाहर है वो यह है कि वेतन पेंशन व ब्याज में ही एक खबर के अनुसार राजस्व व्यय का 57.3 प्रतिशत हिस्सा चला जाता है। ऐसे में सरकार द्वारा मेधावी बेटियों को स्कूटी और छात्रों को लैपटॉप आदि दिए गए और आगे भी दिए जाने की बात की जा रही है। तथा चुनाव से पूर्व जो वादे मुफ्त की रेवड़ियां बांटने से संबंध किए गए थे उन पर होने वाला खर्च आखिर कहा से आएगा। क्योंकि जो सरकारी उद्यम संचालित हैं जहां तक दिखाई देता है उनसे तो इतनी आमदनी है नहीं कि वो इन घोषणाओं के खर्च को पूरा कर ले और सरकारी नौकरशाह अपना खर्च और जनप्रतिनिधि अपनी शान शौकत दिखाने पर होने वाले व्यय कम करते नजर नहीं आ रहे है। ऐसे में कुछ लोगों का यह कथन सही नजर आता है कि कहीं ना कहीं एक बार फिर किसी ना किसी रूप में व्यापारियों उद्योगपतियों और मध्यम दर्जे के लोगों पर टैक्सों की मार बढ़ सकती है। इस बारे में कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कुछ चीजों पर तो टैक्स लगाना शुरू भी कर दिया है। जैसे ऐप से भुगतान पर शुल्क देना होगा। मैं बजट पर तो कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि इतनी मेहनत से सरकार ने पेश किया तो कुछ ना कुछ तो अच्छा होगा ही।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मेहनत से पेश किया गया बजट अच्छा ही होगा, स्कूटी व अन्य मुफ्त की रेवड़ियां बांटने को पैसा कहां से आएगा ? कोई यह भी बताए
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