asd कमिश्नर साहब ! मेडा के अफसरों पर मेहरबानी क्यों, बीते पांच साल में ध्वस्त की गई कच्ची कॉलोनियां और अवैध निर्माणों के वर्तमान स्थिति की कराई जाए जांच; जिनके कार्यकाल में यह बने उनके खिलाफ हो मुकदमे एवं की जाए वसूली की कार्रवाई

कमिश्नर साहब ! मेडा के अफसरों पर मेहरबानी क्यों, बीते पांच साल में ध्वस्त की गई कच्ची कॉलोनियां और अवैध निर्माणों के वर्तमान स्थिति की कराई जाए जांच; जिनके कार्यकाल में यह बने उनके खिलाफ हो मुकदमे एवं की जाए वसूली की कार्रवाई

0

डिवाइडर रोड स्थित आर्क सिटी कालोनी में अवैध निर्माण तोड़ने गई मेडा की टीम के साथ हंगामा करने वाले कई लोगों के खिलाफ आज मुकदमा कार्रवाई होने की खबर पढ़ने को मिली। अगर देखें तो सरकारी काम में बाधा डालना और सरकारी नीतियों का विरोध करना सही नहीं है क्येांकि इससे अव्यवस्था फैलने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन यह भी सही है कि ग्रामीण कहावत कि जिस प्रकार एक हाथ से ताली नहीं बजती उसी प्रकार जब यह अवैध निर्माण हो रहा होता है तो मेडा अधिकारी कहां खो जाते है। उस समय इन्हें रोकने की कोशिश सिर्फ कागजों में करने की बजाय व्यवहारिक रूप से क्यों नहीं की जाती। मंडलायुक्त जी मेडा वीसी और सचिव दोनों सरकार की निर्माण नीति के विपरीत हुए निर्माण के खिलाफ कार्रवाई कर रह हैं लेकिन इसके साथ ही जिस दौरान यह कच्ची कालोनियां कटी और निर्माण हुए उस समय के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए तो उसे न्यायोचित व्यवस्था कह सकते हैं।
मंडलायुक्त जी प्रदेश के सीएम योगी जी ने जब से पद संभाला है तभी से सरकारी जमीन कब्जाने वाले कच्ची कॉलोनियां काटने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए जाते रहे है। जहां तक जानकारी है आज तक निर्माण नीति के खिलाफ काम करने वाले व्यक्ति की सिफारिश उनके स्तर से शायद नहीं हुई। ऐसी चर्चा कभी भी मीडिया में पढ़ने को नहीं मिली वीसी के निर्देशन में कार्रवाई जारी है लेकिन इस अभियान का फायदा क्या जब कुछ दिनों बाद तोड़े गए निर्माण पुन हो जाते हैं और ऐसा नहीं लगता कि बुल्डोजर ने कार्रवाई की होगी। यह तो आप समझ ही सकते हैं कि ऐसा बिना अधिकारियों की मेहरबानी के नहीं हो हो सकता। आप पिछले पांच साल में जितने भी अवैध निर्माण मेडा ने तोड़े उनका मुआयना कराकर उनकी स्थिति देखें। तो आप आश्चर्य में रह जाएंगे कि जिन निर्माणों पर सील या तोड़ने की कार्रवाई होने की बात कही जाती है तो वहां इमारत खड़ी मिलेगी। या तो दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हो पिछले साल कुछ अवैध निर्माण कर्ताओं ने मेडा अधिकारियों पर पैसे लेकर निर्माण कराने का आरोप लगाया था। सवाल उठता है कि इन अभियानों में पुलिस का कीमती समय मेडा के अधिकारी खर्च करा देते हैं और तनाव बढ़ता है। जितने मुकदमे ऐसे मुददों को लेकर विचाराधीन है वो अधिकारियों की माल कमाने और अपना बैंक बेलेंस बढ़ाने की प्रक्रिया के तहत होते हैं लेकिन मुकदमों में खर्चा सरकार का होता है इसलिए अवैध निर्माणों का साम्राज्य बढ़ता ही जा रहा है। अधिकारियों पर भी उतनी ही कार्रवाई हो जितनी आम आदमी पर हो रही है तो इन अवैध निर्माणों से मुक्ति मिल सकती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

Share.

Leave A Reply

sgmwin daftar slot gacor sgmwin sgmwin sgm234 sgm188 login sgm188 login sgm188 asia680 slot bet 200 asia680 asia680 sgm234 login sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin ASIA680 ASIA680