नई दिल्ली 15 फरवरी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आयकर विधेयक, 2025 पर विचार करने के लिए शुक्रवार को 31 सदस्यीय प्रवर समिति का गठन किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बैजयंत पांडा को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, इस समिति में बीजेपी के 14, कांग्रेस के छह, समाजवादी पार्टी (सपा) के दो, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक), तेलगु देशम पार्टी (तेदेपा), जनता दल-यूनाइटेड (जदयू), शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा एसपी) के एक-एक सदस्य को शामिल किया गया है। कुछ अन्य छोटे दलों को भी इस महत्वपूर्व समिति का हिस्सा बनाया गया है।
सेलेक्ट कमेटी में भाजपा की ओर से पांडा के अलावा निशिकांत दुबे, जगदीश शेट्टार, सुधीर गुप्ता, पीपी चौधरी और नवीन जिंदल समेत 14 नेताओं को जगह दी गई है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से दीपेंद्र हुड्डा, अमर सिंह समेत छह सांसद इस समिति में शामिल किए गए हैं। सपा से लालजी वर्मा और प्रिया सरोज तथा तृणमूल कांग्रेस से महुआ मोइत्रा को समिति में जगह दी गई है।
बता दें कि नए आयकर विधेयक में कर निर्धारण (AY) और वित्तीय वर्ष (FY) जैसी शब्दावली को आसानी से समझ में आने वाले ‘कर वर्ष’ (TY) से बदला गया है। इस विधेयक में आयकर की भाषा को सरल बनाने के साथ-साथ गैरजरूरी प्रावधानों और स्पष्टीकरणों को भी हटाने का प्रस्ताव है। नया विधेयक 622 पन्नों का है और इसमें 536 धाराएं, 23 अध्याय और 16 अनुसूचियां हैं। यह विधेयक नए करों का प्रस्ताव नहीं करता है, बल्कि मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 की भाषा को आसान बनाता है, जिसमें 298 धाराएं और 14 अनुसूचियां हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया था और बिरला से इसे प्रवर समिति के विचार के लिए भेजने का आग्रह किया था। आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेने वाले इस विधेयक का उद्देश्य भारत के टैक्स सिस्टम को सरल और आधुनिक बनाना है। यह कानूनी भाषा को भी सरल बनाएगा, ताकि टैक्स पेयर्स प्रावधानों को आसानी से समझ सकें।
विधेयक के अंतर्गत नए टैक्स के प्रावधान नहीं किए जाएंगे। इसके बजाय, यह विधेयक कर कानूनों को सरल बनाने, कानूनी जटिलताओं को कम करने और करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
मौजूदा बजट सत्र 4 अप्रैल को समाप्त होगा। मानसून सत्र जुलाई के तीसरे या चौथे हफ्ते में शुरू हो सकता है। नए इनकम टैक्स बिल ये समिति अपनी सिफारिशें देगी, फिर सरकार कैबिनेट के माध्यम से इस पर निर्णय लेगी कि क्या इन संशोधनों को शामिल करने की जरूरत है। इसके बाद विधेयक संसद में वापस आएगा और फिर सरकार इसके रोलआउट की तारीख पर फैसला करेगी।