भले ही कोर्ट द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कुछ फैसलों को झटका लगा हो लेकिन प्रवासी भारतीयों को वापस भेजे जाने का काम नियमित रूप से हो रहा बताते हैं। खबर है कि इस बारे में खोजने का काम निरंतर जारी है। अब तो ऐसा लगता है कि खासकर भारतीय प्रवासियों का वापस आना तय है। भारत सरकार उनके साथ अमानवीय व्यवहार ना करने के बारे में अमेरिकी प्रशासन को अपना संदेश दे चुकी हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि हमारे यहां से प्रतिभाओं का पलायन विदेशों को हो क्यों रहा है। सरकार इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश क्येां नहीं करती। पिछले कई दशक से हमेशा सुनते चले आते हैं कि फलां व्यक्ति अमेरिका इंग्लैंड कनाडा चला गया। लाखों में कमा रहा है। परिवार में खुशहाली आई। यह बात सही है कि जो लोग विदेश जाते हैं और परिवार को पैसा भेजते हैं उनके घरवाले खुशहाली का जीवन जी रहे हैं। लेकिन सबको यह भी पता चलना चाहिए कि जिन बच्चों के दम पर परिवार के लोग मस्ती कर रहे हें वो विदेशों में क्या कर रहे हैं। और गलत तरीके से किस प्रकार पहुंचते हैं। कितने रास्ते में मर जाते हैं और बाकी या तो वहां भीख मांगते हैं या गटर गंदगी साफ करने का काम करते हैं। जबकि यहां बताया जाता है कि उनका रिश्तेदार वहां अच्छी नौकरी कर रहा है। खासकर पंजाब और अब देशभर में डंकी व्यवस्था में युवाओं को गलत तरीके से विदेश भेजने वाले एजेंटों द्वारा जो सब्जबाग दिखाए जाते हैं उससे प्रभावित होकर परिवार के लोग भ्ीा अपनी जमीन गहने बेचकर इन एजेंटों के माध्यम से बच्चों को विदेश भेजते हैं। अगर शाहरूख खान और तापसी पन्नू की फिल्म डंकी देखी जाए तो हर कोई जान सकता है कि विदेश में रहने वाले भारतीयों की असलियत। कि कैसे एजेंट पैसा वसूलते हैं और फिर गारंटी से वहां तक पहुंचा भी नहीं पाते। फिल्म में दिखाते हैं कि छह में से तीन लोग रास्ते में मारे जाते हैं और जो इंग्लेैंड पहुंचते हैं वो भी भीख मांगते हैं और उत्पीड़न झेलते हैं या यह कहकर जान बचाते हैं कि हमारे देश में खतरा है हमें पनाह दी जाए। फिल्म में जो दिखाया उनकी स्थिति गुलामों से भी बदतर होती है। यह एक अच्छी शुरूआत है कि अवैध तरीकें से अमेरिका भेजने वाले चार एजेंटों के खिलाफ केस दर्ज हुआ। क्योंकि लौटकर आए सुमित और आकाश के लोगों ने लिखित में शिकायत दी। खबर के अनुसार अमेरिका से डिपोर्ट होकर लौटे लोगों की शिकायत पर पुलिस ने अवैध तरीके से अमेरिका भेजने वाले एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। करनाल पुलिस ने कुल चार एजेंटों पर केस दर्ज किया है। पीड़ित आकाश के भाई की शिकायत पर जालंधर के दो एजेंटों पर मधुबन थाने में केस दर्ज किया गया है। वहीं, असंध के बसी गांव निवासी सुमित की शिकायत पर दो अन्य एजेंटों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सभी एजेंटों पर धोखाधड़ी के साथ-साथ इमीग्रेशन एक्ट में कार्रवाई की गई है।
विदित हो कि आकाश और सुमित हरियाणा के उन्हीं 34 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें अमेरिका से पांच फरवरी को अमेरिकी सैन्य विमान में अमृतसर एयरपोर्ट भेजा गया था। एजेंटों ने आकाश और सुमित से करीब 85 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है। करनाल के डीएसपी राजीव कुमार का कहना है कि परिजनों की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच की जा रही है।
अमृतसर में एजेंट का दफ्तर सील
पंजाब सरकार ने अमृतसर में गांव संलेमपुर के दलेर सिंह को 60 लाख रुपये लेकर डंकी रूट से अमेरिका भेजने के मामले में एजेंट पर केस दर्ज किया है। दलेर सिंह ने जब एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप धालीवाल को अपनी कहानी सुनाई तो उन्होंने तुरंत पुलिस को आरोपी पर सख्त कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए। पुलिस ने एजेंट सतनाम सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर उसका दफ्तर भी सील कर दिया है। कंप्यूटर समेत काफी सामान भी जब्त किया गया है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने कई जगह छापा मारा लेकिन वह नहीं मिला।
हरियाणा में सिर्फ 38 एजेंट पंजीकृत, आठ जिलों में एक भी पंजीकृत एजेंट नहीं, 95 प्रतिशत फर्जी
विदेश भेजने के लिए हरियाणा के हर जिले में कई एजेंट कार्यालय खोलकर बैठे हैं, लेकिन इनमें से 95 फीसदी बिना लाइसेंस के ही काम कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के आठ फरवरी तक के रिकॉर्ड के अनुसार हरियाणा में महज 38 पंजीकृत एजेंट हैं।
इसके अलावा अन्य सभी अवैध तरीके से विदेश भेजने का काम कर रहे हैं। प्रदेश में एक हजार से ज्यादा ऐसे एजेंट या दुकानें/दफ्तर हैं जो विदेश भेजने का धंधा कर रहे हैं।
प्रदेश में आठ जिले ऐसे हैं, जहां पर एक भी पंजीकृत एजेंट नहीं है। यहां सभी बिना लाइसेंस के ही काम कर रहे हैं। इसके अलावा सात जिले ऐसे हैं, जहां पर महज एक ही एजेंट पंजीकृत है। वहीं करनाल, पंचकूला और पानीपत सहित तीन जिलों में दो-दो तो अंबाला व हिसार में तीन-तीन एजेंटों के पास वैध लाइसेंस हैं। सर्वाधिक 15 पंजीकृत एजेंट साइबर सिटी गुरुग्राम में हैं, इनमें से भी आधे एजेंटों के लाइसेंस एक्सपायर हो चुके हैं, ये भी अब बिना लाइसेंस रिन्यू कराए काम कर रहे हैं। लाइसेंस होने पर भी गलत तरीके से काम करने पर हिसार के एक एजेंट का लाइसेंस विदेश मंत्रालय की ओर से निलंबित भी किया जा चुका है।
इन पंजीकृत 38 एजेंटों में से भी 13 के लाइसेंस निष्क्रिय हैं । इनमें 12 के लाइसेंस एक्सपायर हो चुके हैं। एक का रद्द है। इनके अलावा हिसार के एक एजेंट का लाइसेंस विदेश मंत्रालय की ओर से निलंबित किया गया है।
प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ और पड़ोसी राज्यों की स्थिति देखें तो चंडीगढ़ में 41 और पंजाब में महज 18 एजेंट पंजीकृत हैं। वहीं, देश में कुल 3005 ही पंजीकृत एजेंट हैं, इनमें से 2194 का लाइसेंस ही सक्रिय है।
मेरा मानना है कि सरकार विदेश जाने के इच्छुक लोगों को वहां होने वाले कष्टों व प्रताड़ना तथा पैसों की बर्बादी से अवगत कराने हेतु डंकी जैसी फिल्मों को प्रोत्साहित करे और ऐसी फिल्मेां को टैक्स फ्री कर फिल्म के इंटरवेल में आवश्यक सूचना के रूप में दिखाया जाए। विदेश भेजने वाले एजेंटों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो तथा कबूतरबाजों को संदेह के दायरे में रखकर इनकी निगरानी हो। सबसे बड़ी बात 50-50 लाख रूपये खर्च कर मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखते हुए विदेश जाने वालों को यही रोजगार उपलब्ध कराएं। जो रूपया जाने पर खर्च होगा उससे वहीं जो काम करने पर जो आमदनी होगी विदेश से ज्यादा होगी। कहने का मतलब है कि युवाओं को जागरूक किया जाए और इंटर की पढ़ाई के दौरान यह समझाया जाए कि वहां क्या क्या समस्या आती है। गलत तरीके से वहां जाने वालों का कोई अस्तित्व नहीं होता। फिल्म में दिखाया कि एक एक बैरक में 50-50 लोग रह रहे हेै। युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकारों द्वारा उन्हें सकारात्मक कदम उठाने होंगे। बच्चों को किसी के रहमो करम पर नहीं छोड़ा जा सकता।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मुंगेरी लाल के हसीन सपनों में गोते लगाते! गलत तरीके विदेश जाने वाले युवाओं और उनके घरवालों को सरकार करे जागरूक, डंकी जैसी फिल्मे बनाई और दिखाई जाए पलायन रोकने हेतु
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