आगरा 08 फरवरी। अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) के खाते से क्लोन चेक बनवाकर दो करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में कंवलदीप सिंह आठ साल से पुलिस कार्रवाई से बच रहा था। मगर, बृहस्पतिवार रात को पकड़ लिया गया। थाना हरीपर्वत पुलिस ने शुक्रवार को उसे जेल भेज दिया। उस पर 5 हजार रुपये का इनाम भी घोषित था।
मामले की विवेचना आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), कानपुर ट्रांसफर कराई गई थी। ईओडब्ल्यू ने बिना गिरफ्तारी चार्जशीट लगा दी। वर्ष 2016 में तैमूर नाम के अप्रवासी भारतीय ने हरीपर्वत थाने में केस दर्ज कराया था। उनका दिल्ली स्थित आईसीआईसीआई बैंक में खाता था। उस खाते के क्लोन चेक से दो करोड़ रुपये की रकम निकाली गई थी। उन्होंने चेक किसी को नहीं दिया था। क्लोन चेक घटिया आजम खां स्थित पंजाब एंड सिंध बैंक में जमा कराया गया था।
गुरुद्वारा माईथान के खाते से रकम निकाली गई थी। चेक जमा होने के बाद तीन दिन के अंदर कानपुर देहात में भोगनपुरी से रकम निकाल ली गई थी। इस संबंध में पीड़ित अप्रवासी भारतीय ने गुरुद्वारा माईथान के पदाधिकारी और पंजाब एंड सिंध बैंक के मैनेजर व कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया था। इसमें कंवलदीप सिंह पर आरोप लगे थे। वह श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा माईथान के प्रधान हैं। उस समय कंवलदीप सिंह ने पुलिस को बताया था कि चेक दान में मिला था। वह क्लोन चेक क्यों बनाएंगे।
वर्ष 2017 में हरीपर्वत पुलिस ने पंजाब एंड सिंध बैंक के तत्कालीन मैनेजर सहित दो लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। मॉडल टाउन, ईदगाह निवासी कंवलदीप सिंह फरार हो गया था। राजनीतिक दबाव में पुलिस ने उस समय दबिश का ड्रामा किया था। बाद में मुकदमे की विवेचना ईओडब्ल्यू कानपुर स्थानांतरित हो गई थी।
ईओडब्ल्यू ने भी विवेचना में मुकदमा सही पाया। कंवलदीप सिंह के गैर जमानती वारंट जारी हुए। कागजों में उसे फरार दर्शाया गया। जबकि वह अपने घर पर ही रह रहा था। सामाजिक आयोजनों में मौजूद रहता था। मुकदमे में ईओडब्ल्यू ने बिना गिरफ्तारी चार्जशीट लगाई थी। कंवलदीप सिंह पर फरारी के चलते पांच हजार का इनाम घोषित किया गया था।
इंस्पेक्टर हरीपर्वत ने बताया कि आरोपी के घर कुर्की उद्घोषणा का नोटिस चस्पा किया गया था। इसके बाद उसके खिलाफ कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर एक और केस लिखाया गया था। आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार करके कोर्ट के समक्ष पेश किया था। जहां से उसे जेल भेज दिया गया।