कोलकाता 06 फरवरी। उपनिवेशवाद की विरासत से अलग होने की पहल के तहत कोलकाता स्थित भारतीय सेना की पूर्वी कमान के मुख्यालय फोर्ट विलियम का नाम बदलकर ‘विजय दुर्ग’ कर दिया गया है। एक रक्षा अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। इसका नाम बदलना छत्रपति शिवाजी को श्रद्धांजलि है, जो भारतीय इतिहास में राष्ट्रवाद के प्रतीक थे।
फोर्ट विलियम हुआ विजय दुर्ग
फोर्ट विलियम 1696 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने हुगली नदी के किनारे बनाया था. किंग विलियम 3 के नाम पर इस फोर्ट को नाम दिया गया था. पलासी की लड़ाई के बाद 1757 में नया फोर्ट बनाया गया था जो 1781 में बनकर पूरा हुआ. 170 एकड़ में फैले इस फोर्ट में ब्रिटिश काल की इमारतें है. उनके नाम भी ब्रिटिश राज घरानों या अफसरों के नाम पर है. यह फोर्ट विलियम में भारतीय सेना के ईस्टर्न कमांड का मुख्यालय हुआ करता जो अब विजय दुर्ग है. पिछले साल दिसंबर में ही फोर्ट विलियम का नाम बदल दिया गया. अब इसका नाम शिवाजी महाराज के किले विजय दुर्ग के नाम पर रखा गया है. फोर्ट में सेंट जॉर्ज के नाम पर एक द्वार था जिसे जॉर्ज गेट के नाम से जाना जाता था. उसका नाम बदलकर शिवाजी द्वार कर दिया गया. फोर्ट विलियम के प्राचीर पर एक इमारत थी जिसें किचनर हाउस के नाम से जाना जाता था. वह अब फील्ड मार्शल मानेकशॉ के नाम से जाना जा रहा है. किचनर हाउस का इस्तेमाल भारतीय सेना मेस के तौर पर करती है. इस इमारत का नाम भी फील्ड मार्शल होरेशियो हर्बर्ट किचनर के नाम पर रखा गया था. यह 1902 से 1909 के बीच कमंडर इन चीफ के तौर पर तैनात थे. किचनर हाउस वही जगह है ढाका सरेंडर के बाद ले.जन. नियाजी को रखा गया था. इसी फोर्ट में चार मंजिला इमारत है जिसे डलहौजी बैरेक कहा जाता था. माना जाता है कि 1940 में नेता जी सुभाष को रखा गया था. उसका नाम अब नेताजी बैरक कर दिया गया है. इसी फोर्ट में रसेल ब्लॉक भी है इसका नाम बदल कर बाघा जतिन कर दिया गया. बंगाल के फ्रीडम फाइटर जतिंद्रनाथ मुखर्जी बाघा जतिन के नाम से मशहूर है.
क्या क्या बदला सेना ने
26 जनवरी और 15 अगस्त में 21 तोपों की सलामी देना वाली ब्रिटिश 25 पाउंडर गन को स्वदेशी 105 से बदला गया. गणतंत्र दिवस समापन समारोह में बजने वाली ब्रिटश काल की धुन को स्वदेशी धुन से बदला गया. साल 2022 में इंडिया गेट वॉर मेमोरियल पर अमर जवान ज्योति की लौ को नेश्नल वॉर मेमोरियल में मिला दिया था. इंडिया गेट पर आजादी से पहले शहीद हुए ब्रिटिश इंडिया आर्मी जिसमें अंग्रेज अफसरों के नाम भी गुदे हुए थे.1971 में यहा अमर जवान ज्योति स्थापित की गई थी. नौसेना ने अपने फ्लैग और इनसाइन को बदल कर शिवाजी महाराज की मुहर को लगाया गया.