asd कुंभ में उठी गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग, हिंदू राष्ट्र की बात भी होनी चाहिए, कश्मीर मुददा

कुंभ में उठी गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग, हिंदू राष्ट्र की बात भी होनी चाहिए, कश्मीर मुददा

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शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य विधु शेखर सरस्वती की अध्यक्षता में महाकुंभ के मेले सेक्टर 12 में शंकराचार्य सरस्वती अविमुक्तेश्वरानंद के शिविर में धर्म संसद के हुए आयोजन में एक स्वर में संस्कृत को सभी भाषाओं की माता बताते हुए गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने का संकल्प लिया गया। इस संत सम्मेलन में धर्म संसद के आयोजक शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने स्वयं सहित शंकराचार्य विधु शेखर और द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती को ब्रहमा विष्णु महेश की साक्षात उपस्थिति बताते हुए कहा कि गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाए बिना शांति से नहीं बैठूंगा। शंकराचार्य विधु शेखर ने गोमूत्र का उपहास उड़ाने वालों को मूर्ख बताते हुए कहा कि इन्हें गौमाता की श्रेष्ठता का ज्ञान नहीं है। इन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की मां है। दुनिया के सबसे बड़े महांकुंभ में तीनों शंकराचार्यों को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने क्या बताया यह तो उनका अपना मत है लेकिन एक बात अवश्य है कि गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा मिलना चाहिए तथा अब सिर्फ इस नाम पर चर्चाएं और व्यवस्था करने के दावों से काम नहीं चलेगा। सरकार केंद्र की हो या प्रदेश की पूरे देश में अभियान चलाकर गौमाता के रहने और खाने पीने की सही व्यवस्था करने की भी जिम्मेदार अफसरों को मजबूर करना होगा क्योंकि सरकार द्वारा हर जिले में काफी बजट देने के साथ साथ व्यवस्थाएं करने के आदेश दिए जा रहे हैं उसके बावजूद कुछ गौपालकों द्वारा दूध निकालकर गायों को सड़कों पर छोड़ दिया जाता है जिसमें से कई कूड़े के ढेर पर प्लास्टिक खाती देखी जा सकती है। मेरा मानना है कि महाकुंभ के अंदर आयोजित होने वाले संत सम्मेलनों में सनातन धर्म की महत्ता आदि पर विशेष जोर दिया जा रहा है। कुछ दशक पूर्व देश में हिंदू राष्ट्र, गौवध पर प्रतिबंध और गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देेने की मांग उठा करती थी। उस तथ्य को ध्यान में रखते हुए महाकुंभ में जुटे साधु संतों को एक स्वर में केंद्र सरकार से गाय को राष्ट्रमाता और हिंदू राष्ट्र की स्थापना की मांग प्रखर रूप से करनी चाहिए। क्योंकि यह कोई गुनाह नहीं है। अपना देश सर्वधर्म सदभाव को मानने वाला है इसलिए बहुसंख्यकों की बात भी संत महात्माओं को उठानी चाहिए क्योंकि यह हर तरह से उपयुक्त है। पीएम मोदी और सीएम योगी दोनों ही यहां की व्यवस्थाओं और गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। ऐेसे में उन तक यह बात पहुंचने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। और इससे भी कोई मना नहीं कर सकता कि कुंभ में उठी मांग बहुसंख्यकों के मन की बात ही होगी। क्योंकि कश्मीर मुददा पहले ही सरकार तय कर चुकी है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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