asd आय से ज्यादा संपत्ति मामलों में कुछ इंजीनियरों की हो निगरानी

आय से ज्यादा संपत्ति मामलों में कुछ इंजीनियरों की हो निगरानी

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केंद्र और प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार और विकास कार्यो में होने वाले घपलों से छुटकारा पाने के लिए काफी प्रयास कर रही है। पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी सहित जनप्रतिनिधि इसमें सहयोग एक अभियान चलाकर कर रहे हैं। शायद इसी के तहत आय से ज्यादा संपत्ति एकत्र करने वालों पर नजर रख कार्रवाई की जा रही है। बीते दिनों जल विभाग के गाजियाबाद निवासी एक अफसर के खिलाफ कार्रवाई के बाद पिछले दिनों लखनऊ में स्वास्थ्य विभाग में तैनात रहे जितंेद्र कुमार के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति का मामला पंजीकृत किया। इन पर आय से 22 लाख रूपये ज्यादा खर्च करने का आरोप है। सरकार की यह पहल कोई नई नहीं है। विकास कार्यों और जनहित की योजनाओं को पलीता लगाने वालों पर अंकुश लगाने के प्रावधान हैं और कार्रवाई भी होती रही है। गर ऐसी खबर पढ़कर नागरिकों में चर्चा के अनुसार उनका कथन सही है कि इन छोटे आय से अधिक संपत्ति के मामलों में कार्रवाई के साथ ही नौकरशाहों आदि को निगरानी के क्षेत्र में लाना चाहिए जो बड़े घोटाले कर अथाह नामी बेनामी संपत्ति एकत्र करने के लिए चर्चित रहते हैं। नागरिकों का मानना है कि वर्तमान समय में कुछ सरकारी पदों को छोड़ दे तो अन्य पर विराजमान कुछ अफसर योजनाओं को पलीता लगाने बैंक बैलेंस बढ़ाने और सुविधाएं जुटाने में दिन रात एक कर रहे हैं। इसमें कितनी सत्यता है यह तो जांच का विषय है लेकिन आम मतदाता का मानना है कि चिकित्सा इंजीनियरिंग शिक्षा आदि क्षेत्रों के कुछ लोगों पर निगाह रखी जाए तो पैसे का सही उपयोग होने लगेगा तो कुछ का मानना कि वर्तमान समय में कुछ इंजीनियरों ने सभी सीमाएं लांघ दी हैं। इस बारे में पूर्व में अदालत द्वारा भी टिप्पणी की गई थी जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी राय व्यक्त की थी। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि विदेशों में होने वाली बैठकों में मुंह छिपाना पड़ता है। कहने का मतलब है कि नागरिक चाहते हैं स्थानीय निकाय विकास प्राधिकरणों बिजली सिंचाई पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों पर विशेष निगाह रखी जाए। मैं भी मानता हूं सब एक जैसे नहीं होते लेकिन कुछ ऐसे हैं जो दाल में काला नहीं काले में दाल के समान आय से ज्यादा धन जुटाने में सारे रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। इस बात का अंदाजा कई प्रतिशत कुछ सरकारी इंजीनियरों के रहन सहन को देखकर लगता है कि वो आय से ज्यादा धन जुटा रहे हैं वरना इतनी ऐशपरस्ती तो उद्योगपति भी नहीं कर पाते हैं जितने ठाट इनके नजर आते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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