asd आजमगढ़ में 35 साल से होमगार्ड की नौकरी करता रहा हिस्ट्रीशीटर, डीआईजी की जांच में खुला मामला – tazzakhabar.com
Date: 14/03/2025, Time:

आजमगढ़ में 35 साल से होमगार्ड की नौकरी करता रहा हिस्ट्रीशीटर, डीआईजी की जांच में खुला मामला

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आजमगढ़ 08 जनवरी। यूपी पुलिस से एक हैरान कर देने वाक्या सामने आया है. एक गैंगस्टर 35 साल से आजमगढ़ के थानों में होमगार्ड के तौर पर तैनात रहा. उसकी बाकायदा ड्यूटी लगती रही और मानदेय भी मिलता रहा. लेकिन, पुलिस महकमे को भनक तक नहीं लगी कि उनके बीच एक अपराधी काम कर रहा है. उसके भतीजे ने जब पुलिस में शिकायत की तब मामले की जांच शुरू हुई. डीआईजी की जांच में पूरा मामला खुलकर सामने आया तो उसे निलंबित कर दिया गया.

फर्जीवाड़े की जांच में पुष्टि होने पर पुलिस ने रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा भी पंजीकृत किया है. आरोपी होमगार्ड नकदू के भतीजे की शिकायत पर तत्कालीन डीआईजी वैभव कृष्ण ने जांच कराई थी. नकदू के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती के कई मामले दर्ज थे. इसके बाद भी वह सितंबर 1990 से लेकर 2024 तक रानी की सराय और मेंहनगर थाने में नौकरी करता रहा. लेकिन, किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी.

रानी की सराय थाना क्षेत्र के चकवारा निवासी नकदू पर 1984 में हत्या और साक्ष्य छुपाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। नकदू ने 1984 में जहानागंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मन्नु यादव की रंजिश में गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद नकदू पर 1987 में डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद नकदू पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई की गई। जिसकी हिस्ट्री-शीट नंबर-52A है।

आजमगढ़ में रहने वाले भतीजे नंद लाल ने चाचा नकदू के खिलाफ 3 दिसंबर को शिकायत डीआईजी वैभव कृष्ण से की थी। बताया कि चाचा 35 साल से फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी कर रहे हैं। इस पर डीआईजी ने जांच के आदेश दिए। मामले में रानी की सराय थाने के सब इंस्पेक्टर गोपाल जी ने मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद 9 जनवरी को मामला सही पाया गया।

नकदू यादव कक्षा चार तक गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ा है। इसके बाद आरोपी ने कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर होमगार्ड की नौकरी हासिल की। 1990 के पहले तक आरोपी की पहचान नकदू यादव पुत्र लोकई यादव के रूप में थी। 1990 में आरोपी नकदू से नंदलाल बन गया। आरोपी होमगार्ड नंदलाल यादव पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई कर हिस्ट्रीशीटर में शामिल कर लिया गया। इसके बाद भी आरोपी ने 1 सितंबर 1989 को होमगार्ड विभाग ज्वाइन कर लिया।
हिस्ट्रीशीटर होने के बाद भी तत्कालीन रानी की सराय थाने और लोकल इंटेलिजेंस की टीम के प्रभारियों ने आरोपी होमगार्ड के चरित्र प्रमाण पत्र पर सितंबर 1992 में हस्ताक्षर भी कर दिए.

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