asd बिजली विभाग मरने वाले को एक करोड़ मुआवजा और काम होने में देरी पर दोषी अधिकारियों से वसूल करे जुर्माना

बिजली विभाग मरने वाले को एक करोड़ मुआवजा और काम होने में देरी पर दोषी अधिकारियों से वसूल करे जुर्माना

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बिजली खपत कितनी हो रही है उत्पादन कितना हो रहा है। निजीकरण से किसे कितना फायदा नुकसान होगा वो अलग बात है लेकिन सरकार और विभाग के उच्चाधिकािरयों के दावों के बावजूद बिजली भुगतान करने के बाद भी आम उपभोक्ता बुरी तरह परेशान हैं। जितने घंटे बिजली देने की बात की जाती है ज्यादातर वो आती नहीं। बिजली कर्मी आंदोलन और काला दिवस मना रहे हैं। सवाल उठता है कि सबकुछ सही है मगर बिजली उपभोक्ता किस बात का खामियाजा भुगत रहे हैं जो भुगतान के बाद भी सुविधाएं और बिजली नहीं मिल रही। कभी बिल बढ़ाकर भेज दिए जाते हैं तो कभी कनेक्शन ना होेने के बाद बिल आने की खबरें मिलती है। जहां हजारों का बिल बनना चाहिए वहां लाखों का बिल बनकर पहुंच जाता है। नया कनेक्शन आसानी से मिलता नहीं। प्रदेश में प्रतिबंध के बावजूद कच्ची कॉलोनियों और अवैध निर्माणों में आसानी से कनेक्शन मिल जाता है लेकिन जब आम आदमी इसके लिए जाता है तो 50 तरह के पाठ पढ़ाए जाते हैं और फिर इशारों में समझाया जाता है कि क्या क्या करना पड़ेगा तब कनेक्शन मिलेगा। आखिर उपभोक्ता का कसूर क्या है यह भी अपनी उपलब्धियां गिनाने के साथ विभागीय अधिकारियेां को बताना चाहिए। एक खबर पढ़ने को मिली कि रेस्टोरेंट मालिक का बेटा बिजली के तारों में झुलसा। कर्मचारी मना रहे हैं काला दिवस। सवाल यह उठता है कि जब सामने गलत लाइनें खींची और नियम विपरीत एचटी लाइन जा रही हो तो दुर्घटना से पहले विभाग के लोग उसको सही क्यों नहीं करते। आखिर मरने वालों का कसूर क्या होता है। पिछले दिनों पता चला कि एक कॉलोनी में पूरा बजट हाईटंेशन लाइन को अंडरग्राउंड करने का जमा करने पर भी छह माह से लाइन नहीं बदली जबकि कई जगह ऐसी पावर लाइन की चपेट में आने से लोगों के मरने की खबरें पढ़ने सुनने को खूब मिल रही है।
मेरा मानना है कि नए साल 2025 में सरकार जो तमाम सुविधाएं उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने की बात कर रही है उसके तहत बिजली से संबंध समस्याओं का समाधान कर नागरिकों को राहत पहुंचाने का काम किया जाए और सबसे बड़ी बात निजीकरण हो या सरकार देखें यह स्थिति स्पष्ट करे क्योंकि आए दिन हड़ताल नागरिकों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। जिससे छुटकारा अब उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए। जो व्यक्ति बिजली विभाग की कमी के कारण अपने परिवार से बिछड़ता है तो उसकी कमी को कोई भी पूरा नहीं कर सकता। लेकिन उसके जाने से जो समस्याएं परिवार के सामने आती है उसे ध्यान में रखते हुए बिजली विभाग अपनी कमियों के चलते हर मृतक के परिवार को कम से कम एक करोड़ का मुजावजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और घायलों को आवश्यकतानुसार तथा विभाग की कमी के चलते कनेक्शन ना देने और बार बार लाइट जाने से जो नुकसान होता है उसके जुर्माने के रूप में नागरिकों को मुजावजा दिया जाए क्योंकि अब नुकसान भी उठाएं मरें भी और भुगतान भी पूरा करे फिर भी उपभोक्ता पर एहसान रहे ऐसा चलने वाला नहीं है। वो भी उन परिस्थितियों में जब जनप्रतिनिधि नागरिकों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्प नजर आते हों।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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