ग्रेटर नोएडा 30 दिसंबर। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( जिम्स) में पहली बार 3डी प्रिंटिंग तकनीक से कूल्हे की हड्डी से डॉक्टरों ने जबड़ा जोड़ कर मरीज का सफल ऑपरेशन किया। डॉक्टरों ने कई हिस्सों में टूटे जबड़े को कूल्हे की 5 सेंटीमीटर हड्डी से जोड़ दिया है। बुलंदशहर के रहने वाले राहुल नागर का सड़क दुर्घटना में जबड़ा टूट गया था। उन्होंने दिल्ली के अस्पताल में ऑपरेशन कराया, लेकिन ऑपरेशन सफल नहीं हुआ। जबड़े में जो प्लेट डाली गई। वह कुछ दिनों बाद बाहर निकलने लगी, जिससे मरीज को काफी परेशानी होने लगी। वह अपनी परेशानी लेकर जिम्स अस्पताल के दंत विभाग में पहुंचे। जहां उनका सफल ऑपरेशन हुआ।
दंत विभाग के विभागध्यक्ष व मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉक्टर संदीप पांडे ने बताया कि राहुल नागर ( 35 ) निचले जबड़े में दर्द की शिकायत के साथ विभाग में आए थे। 4 महीने पहले उनका सड़क दुर्घटना में जबड़ा कई हिस्सों में टूट गया था। निचले जबड़े में कई फ्रैक्चर हो गए थे। उनका उपचार शुरू में नई दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में किया गया था, लेकिन फायदा नहीं हुआ। जांच में पता चला कि ठोड़ी और गर्दन के क्षेत्र में प्लेट उभरी थी, जिसके कारण उसे दर्द हो रहा था।
उन्होंने बताया कि सीटी स्कैन करवाने पर पता चला कि निचले जबड़े के क्षेत्र में 6 सेमी का बड़ा गैप था। प्लेट उभरी हुई थी। चूंकि प्लेट ठीक से मुड़ी नहीं थी, इसलिए यह त्वचा पर दबाव डाल रही थी। ऑपरेशन सही से नहीं होने से ऐसा हुआ था। अनुचित तरीके से इलाज किए गए कम्युनेटेड मेन्डिकुलर फ्रैक्चर का मामला था, जिसके परिणामस्वरूप अवशिष्ट विकृति हुई।
डॉक्टर संदीप पांडे ने बताया कि 3 डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके रोगी विशिष्ट प्रत्यारोपण द्वारा उनका सफलतापूर्वक इलाज किया गया। त्रि-आयामी तकनीक में, पहले रोगी के चेहरे का सीटी स्कैन किया गया। कंप्यूटर सिम्युलेटेड सॉफ्टवेयर के साथ वर्चुअल सर्जरी की गई। उसके बाद शारीरिक मॉडल बनाया जाता है उसके बाद 3 डी प्रिंटिंग कस्टम टाइटेनियम प्रत्यारोपण बनाती है उसके बाद ऑपरेशन किया जाता है। जिम्स में पहली बार तकनीक से जबड़े का ऑपरेशन किया गया है जबड़े में हुए गैप को भरने के लिए कूल्हे की हड्डी का उपयोग किया गया। अब मरीज बिल्कुल सही है।