ग्रामीण कहावत ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया के समान उपभोक्ता हित संरक्षण हेतु जितने नियम बनाए जा रहे हैं उतना ही उनका उत्पीड़न बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे नागरिकों के कथन से मैं भी सहमत हूं क्योंकि उपभोक्ता हितों के अधिकारों का हनन पहले के मुकाबले बढ़ गया है इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता।
बताते चलें कि 1986, 24 दिसंबर को उपभोक्ता संरक्षण दिवस की शुरूआत हुई थी। 2019 में आवश्यकता अनुसार इसमें संशोधन कर इस नियम को उपभोक्ताओं के हित में और ज्यादा कारगर करने की कोशिश की गई लेकिन जहां तक नजर आ रहा है वहां तक उपभोक्ताओं में होने वाली चर्चा के अनुसार पिछले 38 साल में उपभोक्ताओं के हितों पर कुठाराघात के मामले तो बढ़े ही है उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने और परेशान करने के नए नए तरीके उभरकर सामने आए हैं। चाहे वह कुछ वीआईपी लोगों द्वारा विज्ञापन का मुददा हो या या खाद्य सामग्री की पैकिंग अथवा मिलावट हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार की सीमा तक उपभोक्ता अहित की खबरें पढ़ने सुनने को मिल रही है। आश्चर्य की बात यह है कि शुद्ध खाद्य पदार्थ उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने वाला खाद्य सुरक्षा विभाग और उपभोक्ताओं से लिए गए भुगतान के अनुरूप सामान दिलवाने वाले बांट माप विभाग और अन्य विभागों के अफसरों की लापरवाह कार्यप्रणाली तथा अपने निजी लाभों के उपभोक्ता हितों से खिलवाड़ करने के मुददे बढ़ते ही जा रहे हैं। मुझे तो लगता है कि जब लगभग साढ़े तीन दशक पूर्व यह दिवस मनाने की शुरूआत हुई तो उपभोक्ताओं का इतना अहित उस समय नहीं होता होगा जितना आज हो रहा है। सवाल उठता है कि इससे उपभोक्ताओं को कैसे बचाया जाए और भुगतान के अनुसार पूरी और शुद्ध मात्रा में वस्तु कैसे प्राप्त हो तो मेरा मानना है कि एक तो साल भर तक नियमित रूप से खाद्य सुरक्षा विभाग चैकिंग सैंपल भरने का काम करे। और बाट माप विभाग के लोग ठेले पटरियों पर फल सब्जी बेचने वालों व बड़े व्यापारियों के यहां छापेमारी करें व मिलावटी सामान की जांच कैसे हो सकती है इसकी जानकारी उपभोक्ताओं को दी जाए। अपने हित में उपभोक्ता नुकसान दायक खाद्य सामग्री के उपयोग से बचने के लिए इंटरनेट पर जानकारी प्राप्त करे तथा पैकेट बंद सामान के वजन शुद्धता और दामों पर भी निगाह विभाग रखे तो सुधार हो सकता है। सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई द्वारा सदस्यों पदाधिकारियों द्वारा जो जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है वो भी सराहनीय प्रयास है। केंद्र व प्रदेश सरकारों को भी चाहिए कि छात्र-छात्राओं व आम आदमी में हितों की सुरक्षा के लिए जागरूकता लाने के लिए प्रयास करे और सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन जैसे संगठनों को प्रोत्साहन व सम्मान दिया जाए जिससे वह आम उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए काम कर सके।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सरकार सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए जैसे संगठनों को दे बढ़ावा, यह कैसा उपभोक्ता संरक्षण दिवस हर तरह से आम आदमी के हितों पर हो रहा है कुठाराघात
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