लोग कहते हैं कि मेरठ कमिश्नरेट सिस्टम में आएगा तो अपराध घटेंगे लेकिन जिन जगहों पर पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू हैं और वहां पुलिस बल भी तैनात है तो वहां अपराध समाप्त क्यों नहीं हो रहे और गुंडाराज से आम आदमी को मुक्ति क्यों नहीं मिल रही। अपने शहर के बारे में लोगों का कहना है कि पुलिस कमिश्नरेट की राह ताक रहा है अपराध का गढ़ बना मेरठ। एक पाठक का यह कथन ही सही लगता है कि जनपद में पुलिस बल की कमी नहीं है। अफसर और साधन सरकार उपलब्ध करा रही है तो जनपद अपराधों का गढ़ कैसे बन रहा है। सही स्थिति तो पुलिस अफसर ही जान सकते हैं मगर मैं यह तो नहीं कहता कि शहर में पुलिस कमिश्नरेट की व्यवस्था ना हो लेकिन यह जरूर कह सकता हूं कि सबसे ज्यादा इच्छाशक्ति मजबूत करने और अफसरों के आदेश को लागू करने में थानेदारों द्वारा जो लापरवाही दिखाई जाती है जिस दिन यह दो बातें हो जाएंगे शहर अपराधों का गढ़ नहीं रहेगा। इसलिए थानेदारों से आदेश का पालन कराने के लिए अधिकारियों को प्रयास कराने चाहिए तभी अपराधों में कमी आ सकती है। पिछले 20 सालों में यही देखने को मिला।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
पुलिस कमिश्नरेट तो लागू हो लेकिन उससे पहले इच्छाशक्ति मजबूत और आदेशों का पालन हो
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