asd पहले पढ़ें फिर साझा करें पोस्ट, सोशल मीडिया है लाभ का मंच

पहले पढ़ें फिर साझा करें पोस्ट, सोशल मीडिया है लाभ का मंच

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जैसे जैसे सोशल मीडिया का प्रभाव और उसे अपनाने वालों की संख्या बढ़ रही है। वैसे वैसे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि जो कुछ लोग इससे बचने या नुकसान होने की बात करते हैं उसके पीछे क्या कारण होते है क्योंकि इसके फायदों की इतनी बड़ी संख्या नहीं होती तो इस मंच को जो बदनाम करने की कोशिश हुई तो इसे कोई पूछने वाला नहीं होता। आज एक खबर पढ़ने को मिली की बिना पढ़े पोस्ट सांझा करने से फैल रही है बेबुनियादें बाते।
सोशल मीडिया पर बिना पढ़े पोस्ट साझा करने की आदत बेबुनियाद बातें फैलने की वजह बन रही है। एक शोध में यह सामने आया है कि 75 फीसदी लोग पोस्ट पढ़ने की जहमत नहीं उठाते और इसे बेहिचक साझा कर देते हैं।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 3.5 करोड़ पोस्ट पर यह अध्ययन किया। इसमें पता चला कि सोशल मीडिया पर इस तरह से साझा किए गए अधिकांश पोस्ट राजनीति से जुड़े हैं। शोध के निष्कर्ष नेचर ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित किए गए।
राजनीतिक से जुड़े अधिकांश पोस्ट बगैर क्लिक के केवल शीर्षक के आधार पर ही शेयर किए गए। न्यूजर्सी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस के प्रोफेसर यूजीन चो नाइडर ने कहा कि यूजर का जिस राजनीतिक पक्ष की ओर झुकाव था उसने वही लिंक बिना पढ़े साझा किया।
इस शोध का मकसद यह जानना था कि यूजर किसी पोस्ट को क्यों और किस आधार पर साझा करते हैं। इसमें पता चला कि लोग केवल हेडलाइन और शुरुआती पंक्तियां पढ़कर ही लिंक साझा कर देेते हैं। साथ ही पोस्ट पर लाइक्स की संख्या से भी यूजर्स पोस्ट को साझा करते हैं।
तेजी से वायरल होती है गलत जानकारी
यूजर्स द्वारा पोस्ट साझा करने की इस गलत आदत से बेबुनियाद जानकारियां वायरल हो जाती हैं। विशेषकर यदि पोस्ट राजनीति से जुड़ा है तो लोगों के बीच झूठी अफवाहें फैलती हैं।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में शोध
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में मीडिया इफेक्ट्स के प्रोफेसर श्याम सुंदर की अगुवाई वाली टीम ने 2017 से 2020 के बीच के 3.5 करोड़ फेसबुक पोस्ट का विश्लेषण किया। उन्हें इन पोस्ट को देखने की अनुमति हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सोशल साइंस वन और मेटा की ओर से दी गई थी।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत यह बिंदु लगभग सही प्रतीत होता है। मैं मजीठियां बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई की इस बात से सहमत हूं कि सोशल मीडिया की अच्छी पहचान बनाने के लिए बिना पढ़े पोस्ट साझा करने की प्रवृति समाप्त होनी चाहिए। कोई बात लिखते हैं तो पहले उसका ज्ञान अवश्य कर लें कि इससे समाज में नुकसान या गलतफहमी तो नहीं फैलेगी।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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