Date: 21/12/2024, Time:

आशाराम बापू की रिहाई, बीमारों के इलाज और बेरोजगारों को रोजगार के लिए भी कुछ हुआ होता ?

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शताब्दी नगर में चल रही शिवमहापुराण कथा के माध्यम से कथा व्यास पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले हर क्षेत्र का ज्ञान कराने के अतिरिक्त सभी को आशीर्वाद व सदमार्ग दिखाने की कोशिश की जा रही है। वो बात दूसरी है कि अन्यों के साथ ही हर दिन कुछ आयोजकों व उनके परिवार के एक से ही चेहरे आशीर्वाद लेते नजर आते हैं। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है और उनके भक्तों के लिए प्रदीप मिश्रा की कथा एक प्रकार से वरदान ही कही जा सकती है। लेकिन अगर जिस प्रकार से कथा सुनने से होने वाले फायदों के बारे में प्रदीप मिश्रा जी चिटिठयां पढ़कर सुना रहे हैं मैं उन्हें गलत तो नहीं कहता क्योंकि जब वह कुछ कह रहे हैं तो सही ही होगा लेकिन अगर मिश्रा जी कुछ कैंसर रोगियों दिव्यांगों या अन्य बीमारियों से पीड़ितों तथा बेरोजगारों के लिए भी एक दो दिन कथा कर उनमें बेलपत्र आने वालों को देते तो शायद आयोजकों के कथन को सोचें तो इस शहर में दिव्यांग और कैंसर पीड़ित सही हो सकते थे। बीते दिनों अपने विश्राम कक्ष की ओर जाते हुए रास्ते में एक दिव्यांग को देखकर उन्होंने उसे बेलपत्र और आशीर्वाद दिया। क्या ही अच्छा होता कि काली पलटन में भगवान शंकर के दर्शन करने जाते हुए वो इसके निकट दिव्यांग बच्चों के स्कूल में जाकर और शहर के किसी कैंसर हॉस्पिटल या डॉक्टर से पता कराकर कैंसर या असाध्य बीमारियों के बीामरों को बुलाकर उन्हें भी बेलपत्र दे देते। एक पढ़ने को मिला कि एक व्यक्ति की कथा सुनने से नौकरी लग गई। कथा वाचक व कथा के आयोजक कुछ बेरोजगारों को इकटठा कर उनसे मुलाकात करा देते तो हो सकता था कि कुछ नौजवान बेराजगारों को भी भला हो जाता।
व्यासजी के कथा स्थल पर आग बुझाना सिखाया गया। नारी को सम्मान देने की बात कही गई। मृत्युलोक में आने पर अच्छे कर्म करने की सलाह दी गई। और भी कई प्रकार के अच्छे संदेश दिए गए। एकजुट होने का संदेश दिया गया। अच्छे बुरे का ज्ञान भी कराया गया। यह सभी अपने आप में मानव हित और सदमार्ग से संबंध मुददे रहे। व्यास जी ने कहा कि मीठा खाओ और मीठा बोलो। शुगर का लेवल सामान्य रहेगा। सास बहु की चर्चा भी की। क्या ही अच्छा होता कि एक जमाने में अपने आप को श्रेष्ठ और भक्तों की निगाह में भगवान के समान कहलाने वाले आशाराम बापू जो जेल में बंद हैं उनकी रिहाई के लिए भी अगर व्यास जी कोई बेलपत्र पहुंचा देते या उनके भक्तों को दे देते तो काफी अच्छा होता। कुल मिलाकर सनातन धर्म के प्रचार प्रसार और उसके मानने वालों की प्रेरणा हेतु कथा हुई वो एक अच्छा प्रयास भी था। अगर कुछ समर्थ भक्तों की परिक्रमा से समय निकलकर कुछ आम आदमी जिसे हर प्रकार के सुधार की आवश्यकता है उसके बीच या उन्हें बुलाकर कथा सुनाई जाती तो काफी अच्छा था। इसमें कितनी सच्चाई है यह तो कहने वाले ही जान सकते हैं लेकिन अगर रोज पांच गरीबों से आरती कराई जाती एक अच्छा संदेश कथा का जाता। जहां तक व्यवस्थाओं का मामला है तो जो लोग वह कर रहे थे उनका जो उददेश्य ऐेसे आयोजनों को लेकर होता है बड़े असरदार लोगों व अफसरों से संबंध बढ़ाने का वो तो तब भी पूरा होता। और सदमार्ग दिखाने वाली यह कथा आम के आम गुठलियों के दाम वाली कहावत वाली सिद्ध हो सकती थी। बाकी तो सब जानते हैं कि अच्छी बात सुनकर आत्मसात करने से जीवन सफल और सरल हो जाता है। भगवान शंकर की कथा कानों में पड़े तो उससे सभी लोकों और कथा का प्रसादरूपी लाभ मिलता ही है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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