पुणे, 20 दिसंबर। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि भारत को अक्सर अपने अल्पसंख्यकों के मुद्दों के समाधान की सलाह दी जाती है, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि दूसरे देशों में अल्पसंख्यक किस स्थिति का सामना कर रहे हैं।
भागवत ने पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव की शुरुआत के अवसर पर यह भी कहा कि विश्व शांति की बात करके आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। विश्व शांति पर बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं। हमें विश्व शांति के बारे में सलाह भी दी जा रही है, लेकिन उसी समय युद्ध नहीं रुक पा रहे हैं। भागवत का इशारा बांग्लादेश की तरफ था, जहां पर अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं। हालांकि, इस मौके पर उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया, जबकि करीब एक सप्ताह पहले संघ ने इस पर चिंता व्यक्त की थी।
भागवत ने कहा कि मानव धर्म सभी धर्मों का शाश्वत धर्म है। यह विश्व धर्म है। इसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है। हालांकि, दुनिया इस धर्म को भूल गई है। उनका धर्म एक ही है और यह भूल जाने के कारण आज हम पर्यावरण समेत विभिन्न प्रकार की समस्याएं देख रहे हैं।
हमारे देश के बाहर बहुत से लोग सोचते हैं कि भारत की भूमिका निभाए बिना विश्व शांति संभव नहीं है। यह केवल भारत और इसकी समृद्ध परंपरा ही है जो ऐसा कर सकती है और तीन हजार वर्षों से ऐसा होता आया है। दुनिया की इस आवश्यकता को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है।