अभी सोशल मीडिया पर 2.74 करोड़ फॉलोवर होने के चलते देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ द्वारा बीते दिवस नव्य, दिव्य, भव्य मजबूत प्रदेश की परिकल्पना और रामराज्य की स्थापना के संकल्प के तहत कोई अतिरिक्त नया कर ना लगाते हुए नागरिकों पर कोई बोझ डालने से पूरी तौर पर परहेज कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के सहयोग से विकास का संकल्प और आस्था को नमन करते हुए रामनगरी अयोध्या के लिए तो खजाना खोला ही प्रदेश की जनता के लिए भी प्रगृति का रामपथ तैयार कर लोक कल्याण का बजट पेश किया गया।
7.36,437,71 करोड़ अब तक का सबसे बड़ा योगी सरकार ने अपना आठवां बजट लोक मंगल की भावना के तहत महाबजट प्रस्तुत करने में सफलता पाई।
भाजपा के छोटे व्यापारी हुए मायूस
सरकार किसी की भी हो बजट कोई भी पेश करे सत्तापक्ष के लोगों द्वारा उसकी सराहना हमेशा की जाती रही है उसी प्रकार विपक्ष अपनी भूमिका मजबूती से निभाते हुए तथा जो कमियां रही उनकी ओर सरकार का ध्यान दिलाने एवं नागरिकों की सुविधा के और द्वार खुलवाने में हमेशा ही उसकी आलोचना करता रहा है। इसमें कोई मुझे लगता है बुराई भी नहीं है। लेकिन भाजपा के किसी बड़े नेता द्वारा बजट में कोई कमी नहीं निकाली गई है लेकिन जनसंघ से लेकर आजतक विभिन्न पदों पर रहते हुए सत्ताधारी दल से जुड़े रहे संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष अजय गुप्ता का कहना है कि सरकार ने बजट में वस्त्र उद्योग को खाली हाथ छोड़ दिया। अनेक व्यापारिक सामाजिक और शैक्षिक संगठनों से जुड़े पदाधिकारी मनीष प्रताप का भी मानना है कि उद्योग जगत के लिए बजट में चूक हुई है। परतापुर इंडस्टियल स्टेट मैन्यूफैक्चर्स एसो. के अध्यक्ष निपुण जैन का मानना है कि एमएसएमई को किया गया मायूस।
स्मार्ट सिटी न बना पाई, जनता से किया छल
दूसरी तरफ यूपी के पूर्व सीएम सपा मुखिया अखिलेश यादव का मानना है कि बजट में पीडीए के लिए कुछ नहीं किया। बजट नाम का नहीं काम का होना चाहिए। पूर्व सीएम बसपा मुखिया मायावती का कहना है कि बजट पार्टी के चुनाव हित का ज्यादा जनहित एवं जनकल्याण का कम लगता है। इसके अलावा भी विपक्ष के विधायकों की यह बात सही लगती है। पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर ने कहा कि बजट में किसानों के लिए कुछ भी घोषणा नहीं की गई है। कृषि यंत्रों खाद के दामों में कमी नहीं की गई। पश्चिमी उप्र के साथ एक तरह से छल किया गया हैं चुनावी साल होने के कारण आम आदमी के साथ किसानों को भी प्रदेश सरकार से बड़ी उम्मीद थी। मेरठ शहर विधायक रफीक अंसारी का कथन भी मजबूत नजर आता है कि प्रदेश सरकार आज तक मेरठ को स्मार्ट सिटी नहीं बना पाई। बजट में युवाओं को भी मजदूरों के साथ निराश किया गया है। विधायक अतुल प्रधान का कहना है कि प्रदेश सरकार ने जनता को भ्रमित करने के लिए आंकड़ेबाजी का बजट पेश किया है।
बजट आत्मनिर्भर
लेकिन सत्ताधारी दल के नेताओं का मानना है कि बजट कौशल विकास से आत्मनिर्भर बनाने का हैं। विकास की उंचाईयों की उड़ान भरता आमजन के लोककल्याण को समर्पित बजट है। रैपिड एक्सप्रेस को मिलेगी संजीवनी। रोजगार सृजन महाकुंभ आयोजन युवाओं को सभ्य रोजगार से जोड़ने नई बसें खरीदने कानून व्यवस्था दुरूस्त करने स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती सड़कों के निर्माण आम आदमी का जीवन स्तर सुधारने बेटियों के लिए सुमंगला कन्या योजना, अधिवक्ता कल्याण तथा नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए बजट में योगी सरकार ने खजाना खोलकर रख दिया है।
लघु और भाषाई समाचार पत्र संचालकों को किया निराश
बजट प्रस्तुत किया है। 2024 के लोकसभा चुनाव की तिथि निर्धारित होने का समय नजदीक आता जा रहा है। उसके बावजूद केंद्र सरकार की तरह यूपी सरकार ने भी लघु और भाषाई समाचार पत्र संचालकों को बुरी तरह निराश किया हैं जबकि ऐसी उम्मीद नहीं थी।
जनप्रतिनिधि निगरानी में सफल हुए तो
मगर जो भी हो बजट में जो भी निर्देश हुए उसका लाभ किसी ना किसी को तो पहंुचना ही है लेकिन एक बात कही जा सकती है कि योगी सरकार ने अब तक के सबसे बड़े आठवे बजट में जो धनवर्षा की है अगर उसका उपयोग विकास कार्यो जनहित और जिन योजनाओं के लिए वो निर्धारित किया गया है उनसे संबंध सरकारी अफसर उसका सही उपयोग अगर करेंगे और जनप्रतिनिधियों ने उसमें लापरवाही और भ्रष्टाचार नहीं होने दिया तो योगी सरकार के लिए यह रामबाण मजबूती के मामले में साबित होगा और भविष्य में इसके अच्छे परिणाम भी सत्ताधारी दल को मिल सकते हैं क्योंकि दो तीन दशक में देखने को मिला है कि केंद्र या प्रदेश में मतदाता किसी की पूंछ पकड़कर चलने को तैयार नही हैं जो उसके हित की बात करेगा उसी का चुनावी बेड़ा मतदाता पार करेगा। बस जरूरी है सरकारी हुक्मरानों पर नकेल कसने की वो भी खासकर नगर निगम विकास प्राधिकरण आवास विकास खाद्य आपूर्ति शिक्षा और बिजली आदि विभागों के हुक्मरानों पर कड़ी नजर रखते हुए जनप्रतिनिधियों को निगरानी बढ़ानी होगी।
लघु और भाषाई समाचार पत्रों को योगी सरकार भी भूल गई! सरकार ने बजट में जितना दिया, सरकारी नौकरों से उसका सही उपयोग कराने में सफल रहे जनप्रतिनिधि तो
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