Date: 22/12/2024, Time:

खाद्य पदार्थों की ऑनलाईन डिलीवरी के नियम बदले

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नई दिल्ली 16 दिसंबर। ऑनलाइन खाद्य पदार्थ मंगाने के दौरान यह जरूर चेक कर ले कि वह खाद्य पदार्थ कब तक उपभोग करने लायक है। कहीं उस वस्तु की एक्सपायरी डेट 45 दिन से कम तो नहीं है। अगर ऐसा है तो आप भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के पास इसकी शिकायत कर सकते हैं। हाल ही में ऑनलाइन काम करने वाले सभी फूड बिजनेस आपरेटर्स (एफबीओ) को एफएसएसएआई ने यह साफ निर्देश दिया है कि वे उपभोक्ताओं को उन्हीं खाद्य पदार्थों की डिलिवरी करें जिनके उपभोग की अवधि (एक्सपायरी डेट) उस समय कम से कम 45 दिन बची हो।

खाद्य सुरक्षा को लेकर एफबीओ के साथ बैठक में एफएसएसएआई ने कहा कि इससे उपभोक्ताओं में उनके प्रति भरोसा पैदा होगा। एफबीओ से यह भी कहा गया कि वे आनलाइन प्लेटफार्म पर किसी खाद्य वस्तु के बारे ऐसा कोई दावा नहीं करें जो फिजिकल रूप से उस वस्तु के लेबल पर नहीं है। उन्हें लेबलिंग और डिस्प्ले नियम का सख्ती से पालन करना होगा। एफबीओ से कहा गया कि वे अपने डिलीवरी ब्वाय को खाद्य वस्तुओं की डिलीवरी के दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखने का पूरा प्रशिक्षण भी दे। उन्हें ग्राहकों को अपनी साफ-सफाई रेटिंग और एफएसएसएआई लाइसेंस व विक्रेता का पंजीयन जैसी जानकारी भी मुहैया करानी चाहिए।

उपभोक्ताओं को समय पर न्याय दिलाने और आम लोगों को शिकायत के लिए आगे आने को प्रेरित करने के उद्देश्य से उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय 24 दिसंबर को उपभोक्ता दिवस के अवसर पर ई-जागृति एप शुरू कर सकता है। इस एप पर बोलकर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी। पिछले साल 24 दिसंबर को ई-जागृति पोर्टल शुरू किया गया था, लेकिन अभी यह पोर्टल संचालन में नहीं आ पाया है।

आगामी 24 दिसंबर से इस पोर्टल को पूरी तरह संचालन में लाने की भी शुरुआत हो सकती है। ई-जागृति पोर्टल के संचालन में आने पर उपभोक्ताओं को शिकायत के लिए राज्य व जिला उपभोक्ता अदालत के फोरम के पास नहीं जाना होगा। वे अपने मोबाइल फोन या ईमेल आइडी से लाग-इन करके पूरी शिकायत दर्ज कर सकेंगे। फीस से लेकर अन्य संबंधित दस्तावेज भी अपलोड हो जाएंगे और पोर्टल व एप पर ही उन्हें सुनवाई की जानकारी मिल जाएगी। वर्चुअल सुनवाई की सुविधा होगी और शारीरिक उपस्थिति की कोई जरूरत नहीं होने पर उपभोक्ता कहीं भी रहकर अपने मामले को लगातार देख सकेगा।

अभी देश भर में सालाना पांच लाख से अधिक शिकायतें उपभोक्ता अदालत व संबंधित फोरम में दर्ज होती हैं। इनमें से कई मामले विभिन्न कारणों से महीनों लंबित रहते हैं। ई-जागृति पोर्टल के काम करना शुरू कर देने पर मामलों का निपटान आसान हो जाएगा और इससे उपभोक्ता अपने अधिकार के प्रति सजग होंगे।

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