asd मेरठ के 53 सरकारी स्कूलों के कृषि फार्म में अतिक्रमण पर हाई कोर्ट गंभीर

मेरठ के 53 सरकारी स्कूलों के कृषि फार्म में अतिक्रमण पर हाई कोर्ट गंभीर

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प्रयागराज 14 दिसंबर। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के 53 सरकारी स्कूलों के कृषि फार्म में अतिक्रमण पर गंभीर रुख अपनाया है। अवैध कब्जे के खिलाफ जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए गठित कमेटी की संस्तुति बगैर फार्म की भूमि लीज देने पर रोक लगा दी है। कहा है, कमेटी यह देखे कि पिछली लीज की शर्तें क्या थीं और पैसा स्कूल खाते में जमा किया गया था या नहीं ? जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मेरठ को आदेश दिया गया है कि वह सभी स्कूलों को इस आदेश की जानकारी उपलब्ध कराएं। कोई वैधानिक अचड़न न होने की दशा में दो अधिवक्ता न्यायमित्रों की रिपोर्ट तथा दो रिसर्च एसोसिएट के सुझावों को अमल में लाने का निर्देश भी जिलाधिकारी बीएसए को दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जय भगवान की जनहित याचिका निस्तारित करते हुए दिया है।

न्यायमित्र अधिवक्ता विपुल कुमार व राय साहब यादव तथा कोर्ट से संबद्ध रिसर्च एसोसिएट ऋषभ शुक्ल व दीक्षा शुक्ला के सहयोग की सराहना की है। याचिका में मेरठ के कक्केरपुर गांव स्थित सरकारी स्कूल के फार्म को लीज पर देने में प्रक्रिया का पालन करने तथा अवैध कब्जे को हटाने की मांग की गई थी। न्यायमित्रों ने अपनी रिपोर्ट में तमाम अनियमितताओं को सामने लाते हुए व्यवस्था दुरुस्त करने के सुझाव दिए हैं। रिसर्च सहायकों के भी सुझाव हैं।

रिपोर्ट के अनुसार मेरठ के 53 स्कूलों में कृषि फार्म मिले। इन्हें लीज पर देने की शर्तें 31 जुलाई 2018 के शासनादेश में हैं। इसके अनुसार ग्राम प्रधान या पालिका अध्यक्ष की अध्यक्षता में कमेटी बनानी चाहिए। एसडीएम द्वारा नामित नायब तहसीलदार रैंक से ऊपर के अधिकारी व विद्यालय के प्रधानाध्यापक इसके सदस्य होंगे। वही भूमि लीज पर देने के लिए अधिकृत हैं, किंतु कमेटी कहीं नहीं है। मनमाने तरीके से लीज दी गई। जिसने लीज ली, जमीन पर कब्जा कर लिया। लीज से मिला पैसा स्कूल के खाते में जमा नहीं किया गया।

प्रश्नगत मामले में पूर्व व वर्तमान प्रधानाचार्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है। रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों में छात्रों की कमी है। ज्यादा संख्या दिखाने के लिए प्राइवेट स्कूलों के छात्रों को फर्जी ढंग से पंजीकृत किया गया है। कई स्कूलों में 50 से भी कम छात्र हैं। मिड डे मील की व्यवस्था के बाद शिक्षा का स्तर गिरता गया है। एक सुझाव यह भी है कि मिड डे मील की जगह आर्थिक मदद की जाए। रिसर्च एसोसिएट ने अध्यापकों की बायोमीट्रिक उपस्थिति, सीसी कैमरे से ब्लाक स्तर पर निगरानी हो व साल में कम से कम दो बार बीएसए के निरीक्षण को अनिवार्य करने का सुझाव दिया है।

परीक्षा के लिए 70 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य करने व अध्यापकों की नियुक्ति छात्र संख्या के बजाय विषय व कक्षा पर करने जैसे सुझाव भी हैं। कोर्ट ने सुझावों व रिपोर्ट की प्रति जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मेरठ व महाधिवक्ता कार्यालय को अनुपालन के लिए भेजने के लिए कहा है।

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