नर्सिंग होम के संचालकों द्वारा क्या क्या किया जाता है और ज्यादातर की छवि क्या है यह तो बीते माह सरधना विधायक अतुल प्रधान द्वारा सभी को बताया और समझाया गया था। इसलिए इनके बारे में ज्यादा कुछ कहना सही नहीं लगता। क्येांकि सब जानते हैं कि ज्यादातर अवैध रूप से बने नर्सिंग होमों और उनके संचालकों के खिलाफ सरकारी नीति के तहत कार्रवाई होनी चाहिए थी जो नहीं हो रही। जहां तक कैपिटल हॉस्पिटल में लिफ्ट में फंसने से एक महिला की मौत हुई वो दुखद भी है और शर्मनाक भी। तथा हॉस्पिटल संचालकों की पैसा कमाने की हवस और व्यवस्था ना करने की लापरवाही भी साफ होती है। मगर आईएमए के सचिव डॉ. सुमित उपाध्याय द्वारा उठाया गया बिंदु सही लगता है कि डॉक्टर कविता पर कार्रवाई क्यों। यह किसी से छिपा नहीं है कि नर्सिंग होमो में डॉक्टर मरीजों को देखने जाते हैं उनमें भर्ती कराते हैं और इलाज भी करते हैं। इस दौरान मरीज को डॉक्टर की लापरवाही से कुछ होता है तो डॉक्टर को दोषी मानने से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन अगर नर्सिंग होम में रखरखाव या उपकरणों में कमियांे से कोई घटना होती है तो डॉक्टर जिम्मेदार नहीं हो सकती। मेरे ख्याल में इस प्रकरण में डॉक्टर कविता का कोई दोष भी अभी तक सामने शायद नहीं आया है। इसलिए आईएमए सचिव डॉ. सुमित उपाध्याय द्वारा डॉ. कविता के खिलाफ एफआईआर को गैर जरूरी बताते हुए अधिकारियों को फिर से विचार करते हुए नर्सिंग होम संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जाए और पीड़ित परिवार की मांगो ं को पूरा किया जाए। किसी भी रूप में महिला की मौत के जिम्मेदारों को बख्शा जाना समयानुकुल नहीं है। स्वास्थ्य विभाग और सरकार की नीति के तहत पीड़ित परिवार की परेशानियों को देखते हुए निर्णय जल्द लिया जाए। अगर पहली नजर में ही नर्सिंग होमों की गलती के लिए डॉक्टरों को सजा दी जाने लगी तो फिर आसानी से इलाज के लिए डॉक्टरों का मिल पाना और नर्सिंग होम तक उन्हें ले जाना लोगों की परेशानी का कारण बन जाएगा। वो स्थिति पीड़ादायक होगी यह सभी जानते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कैपिटल नर्सिंग होम के संचालकों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई, डॉक्टर पर एफआईआर क्यों
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