जौनपुर10 दिसंबर। यूपी के जौनपुर में डेहरी गांव में कुछ मुस्लिम परिवारों ने अपने नाम के साथ दुबे, तिवारी, ठाकुर, कायस्थ उपनाम लिखना शुरू कर दिया है। इसके चलते यह गांव चर्चा में आ गया है। साथ ही इनके परिवार वालों और रिश्तेदारों को को विदेश से धमकियां मिल रही हैं। गांव के 25 मुस्लिम परिवारों का कहना है कि उनके पूर्वज ब्राह्मण और क्षत्रिय थे। सात या आठ पीढ़ी पहले उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था। अपनी जड़ों और मूल पहचान से जुड़ने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है।
कुछ महीने पहले उन्होंने अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला वे ब्राह्मण थे। शेख अब्दुला ने भी अपने नाम के आगे दुबे जोड़ लिया है। कुछ महीने पहले असम में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) लाया गया तो उन्होंने अपने परिवार का इतिहास खंगालना शुरू किया। पता चला कि उनके पूर्वज आजमगढ़ के मगरावा गांव के हिंदू थे जो बाद में डेहरी गांव आकर बस गए थे। इसके बाद उन्होंने भी अपने नाम के आगे दुबे जोड़ लिया।
इन परिवारों का कहना है कि उन्हें अपनी जड़ों पर गर्व है और इस पहल से गांव में आपसी सौहार्द और एकता को बढ़ावा देने में मदद मिली है। डेहरी गांव की आबादी पांच हजार है और लगभग तीन हजार मुस्लिम परिवार रहते हैं।
गांव के नौशाद अहमद दुबे ने बताया कि पिछले दो वर्षों से वह अपने नाम के आगे दुबे लिख रहे हैं। विशाल भारत संस्थान के राजीव गुरुजी का इसमें विशेष योगदान रहा। उनकी प्रेरणा से हमने अपने पूर्वजों से जुड़ने का निर्णय लिया।
नौशाद ने बताया कि वह जल्द जिला प्रशासन को पत्र देकर सभी दस्तावेजों में अपने नाम के आगे दुबे लिखवाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अपने बच्चों पर इसके लिए दबाव नहीं डाल रहे। उनके पिता ने भी ऐसा नहीं किया था। यह भी बताया कि आजमगढ़ में 100 से अधिक लोग हैं जो अपने नाम के आगे हिंदू सरनेम लिख रहे हैं। वे लोग गाय पालते हैं, गोसेवा करते हैं। हिंदू सरनेम जोड़ने से बच्चों के शादी-ब्याह में कोई दिक्कत तो नहीं आएगी, इस सवाल पर नौशाद कहते हैं कि ऐसा नहीं होगा। जब सभी लोग अपने पूर्वजों को मानकर सरनेम जोड़ने लगेंगे तो दिक्कत क्यों आएगी।
डेहरी गांव के नौशाद अहमद की भतीजी की शादी दस नवंबर को थी। शादी का कार्ड छपा तो उसमें नौशाद अहमद दुबे लिखा था। इसके बाद पता चला कि गांव के 36 मुस्लिमों ने अपने नाम के आगे हिंदू सरनेम जोड़ लिया है।
कई पीढ़ियों पहले ब्राह्मण होने की पुख्ता जानकारी के बाद गांव के लोगों ने टाइटल में बदलाव कर ली। ऐसा भी नहीं है कि पूरे डेहरी गांव के लोग इससे प्रभावित हुए हैं जिन्होंने अपने नाम में ब्राह्मण टाइटल जोड़ रखा है। अपने पुरखों की खोज के बाद 2 साल पहले नाम के साथ दुबे टाइटल सिर्फ परिवार के मुखिया ने ही जोड़ा है। बाकी किसी ने भी ऐसा नहीं किया है।