संभल में हुई हिंसा को लेकर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कानपुर में आयोजित एक निजी कार्यक्रम में कहा कि सरकार की नीयत अगर साफ होती तो संभल की घटना नहीं होती और पांच जान नहीं जाती। वोटों की लूट से ध्यान भटकाने के लिए यह काम कराई गई। उन्होंने यह भी कहा कि मैं अपना डीएनए टेस्ट कराने को तैयार हूं मेरे साथ सीएम भी कराएं। दूसरी तरफ कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान गत दिवस संभल का मामला उठाया और कहा कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को संभल ना जाने देना ठीक नहीं। उन्होंने इस पर विरोध जताते हुए कहा कि संभल को मणिपुर बनाना चाहती है सरकार। जो भी हो यह बात विश्वास से कही जा सकती है यूपी सरकार ना तो संभल को मणिपुर बनाने का प्रयास करेगी और ना कोई सीएम अपनी सरकार के रहते हिंसा कराएगा। सांसद गौरव गोगोई और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ऐसा क्यो कहा यह तो वही जान सकते हैं लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि अगर शांति बहाली हेतु किसी भी सियासी दल के नेता संभल जाना चाहते हैं तो उन्हें रोका नहीं जाना चाहिए।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में बीते दिवस रामकथा पार्क में 43वें रामायण मेले का उदघाटन करते हुए कहा गया कि देश है तो धर्म है धर्म है तो हम सब। उन्होंने आहवान किया कि देश व धर्म के लिए कुछ करने के साथ ही समाज को जोड़ने की आवश्यकता है। उनका यह कथन सही व समाजहित का कह सकते हैं लेकिन यह शब्द कि 500 साल पहले जो बाबर ने किया वो ही संभल व बांग्लादेश में हो रहा है को पढ़कर मुझे लगता है कि ऐसा योगी सरकार के रहते संभव नहीं है। क्योंकि मजबूत इरादों के नेता यूपी के संत सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार में किसी की इतनी हिम्मत नहीं है कि 500 साल पहले बाबर ने जो किया वैसा और बांग्लादेश जैसा करने की यूपी में सोचे। मेरा मानना है कि अब संभल की हिंसा के बाद जितना पढ़ने सुनने को मिल रहा है उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि इस मामले में कहीं ना कहीं पुलिस प्रशासन व व्यवस्था बनाने वाले तथा कुछ जनप्रतिनिधियों की चूक रही। ना तो वो स्थिति संभाल पाए और ना ऐसा होने का अंदाजा लगा पाए। यूपी सरकार का यह प्रयास सही है कि हिंसा में सवा करोड़ का नुकसान सीओ की गाड़ी तोड़ी जिम्मेदारों से हो इसकी वसूली।
मुख्यमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधि इस बात को समझ ले कि वर्तमान में हो उठा पटक हो रही है व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार हर राजनेता महत्वकांक्षी हो रहा है और कहीं पर भी उसकी संतुष्टि नहीं हो रही है। जो सरकार में नहीं है वो सत्ता संभालना चाहता है। जो विधायक बने गए उनमें कुछ मंत्री व उससे आगे की इच्छाएं बढ़ने लगती है। नितिन गडकरी का कहना सही है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कोई व्यक्ति घर से कुछ सोचकर निकले तो जब तक वह अपनी मंशा पूरी नहीं कर लेता सामने वाले को पता नहीं चल सकता लेकिन संभल में जो हुआ वो किसी एक व्यक्ति या समूह की कार्यप्रणाली का परिणाम है और इतनी बड़ी जानकारी का ना होना अधिकारियों की नाकामी का परिणाम है। इसलिए जरूरी है कि सरकार अधिकारियों को आदेश दे कि कमजोर गरीबों की समस्याओं का समाधान करते हुए उनका उत्पीड़न ना होने दे और व्यवस्था पर पूरी निगाह रखे। क्यांेकि असंतोष की छोटी सी चिंगारी कुछ भी करा सकती है। ऐसा इतिहास को देखकर कहा जा सकता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
योगी जैसे मजबूत इरादे के संत मुख्यमंत्री के होते संभल क्या कहीं भी बाबर या बांग्लादेश जैसी घटना हिंसा नहीं हो सकती, व्यवस्था की कहीं ना कहीं चूक के कारण हुई हिंसा
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