प्रदेश के बिजली विभाग में हो रहे परिवर्तन तथा निजी हाथों में इसके जाने की पृष्ठभूमि तैयार हो जाने के बाद अब अलग अलग मंडलों में सुविधानुसार इसे लागू किए जाने की खबरें खूब सुनने पढ़ने को मिल रही है। निजी हाथों में देने के समर्थक इसे जनहित में बता रहे हैं तो बिजली विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी इसे आम उपभोक्ता के साथ धोखा तो कह ही रहे हैं आंदोलन की तैयारी भी इनके द्वारा उच्च स्तर पर की जा रही बताई जाती है। कानपुर के बाद मेरठ में नौ दिसंबर से इस व्यवस्था की शुरूआत होने की चर्चा है। दूसरी तरफ निजीकरण के विरोध में छह राज्यों पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, झांरखंड और हरियाणा व महाराष्ट्र के बिजली अभियंता फैसले के खिलाफ खड़े होने की तैयारी कर रहे है। इस हिसाब से देखें तो 6 राज्यों में निजीकरण के निर्णय के विरोध में माहौल तैयार हो रहा है। यह पक्का है कि अगर किसी भी प्रकार के विरोध में धरना प्रदर्शन व हड़ताल होते हैं तो नागरिकों के सामने परेशानी होना पक्का है।
सरकार निजीकरण या खुद इस विभाग को संचालित करे आम आदमी को सीधे सुविधा से जो शुल्क लिया जा रहा है उससे नियमित बिजली आपूर्ति होती रहे लेकिन कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पावर कारपोरेशन बिजली विभाग के निजीकरण की शुरूआत व्यवस्था के हित में नहीं है। सरकार इस संदर्भ में सोचे और निर्णय ले। लेकिन जब तक कोई भी फैसला पूर्ण रूप से सही होता तब तक और बाद में अगर कोई हड़ताल होती है तो उसका नुकसान प्रदेश के नागरिकों को ना हो इस हेतु जरूरी कदम बिजली कर्मियों और परिवारों के पालन पोषण को ध्यान में रखते हुए उठाने चाहिए। एक व्यवस्था बनाई जाए कि ना तो कोई बिजली आपूर्ति बाधित करें और ना सड़क पर जाम लगा सके।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मुख्यमंत्री जी ध्यान दें! बिजली आपूर्ति सरकार करें या निजी कंपनियां आम आदमी को ना हो परेशानी
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