महाकुम्भ नगर, 05 दिसंबर। सनातन बोर्ड को लेकर देशभर में कई धार्मिक संगठनों और राजनेताओं के बयान के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा कि इसके निर्माण में कोई जल्दबाजी नहीं होगी। 27 जनवरी को मेला क्षेत्र में प्रस्तावित धर्म संसद में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा। जिसके बाद बाइलॉज बनाने में दो से तीन साल का वक्त लग सकता है। जिसके बाद स्थिति स्पष्ट होगी।
महाकुम्भ क्षेत्र में निरंजनी अखाड़े की छावनी में आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरि ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बातें कहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सनातन बोर्ड में किसी बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं होगा। स्वामी अरुण गिरि ने कहा कि बोर्ड के गठन में कोई जल्दबाजी नहीं होगी।
इस बोर्ड का प्रस्ताव अखाड़ा परिषद का है, सभी 13 अखाड़े के प्रतिनिधि यहां की बैठक में शामिल होंगे और इसके स्वरूप पर चर्चा करेंगे। जब बोर्ड का गठन होगा तो निश्चित रूप इसमें प्रथम पंक्ति से लेकर आखिरी पंक्ति के संतों को शामिल किया जाएगा। लेकिन वो सभी संत समाज से होंगे, कहीं बाहर से नहीं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि इसका गठन मठ मंदिरों की रक्षा करना है। किसी मठ या मंदिर पर कब्जा करना नहीं। उन्होंने कहा कि जिन मंदिरों पर पूर्व से कब्जा चला आ रहा है बोर्ड उसे मुक्त कराएगा। जो मठ मंदिर बोर्ड में शामिल नहीं होंगे, अगर उन्हें भी रक्षा की जरूरत होगी तो बोर्ड मदद करेगा, लेकिन मठ मंदिर रहेगा उसी व्यक्ति का।
महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि पिछले दिनों एक वैष्णव संत ने कहा था कि बोर्ड की जरूरत नहीं है।
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से हर माघ में त्रिवेणीतट पर होने वाला सांस्कृतिक आयोजन ‘चलो मन गंगा यमुना तीर’ अबकी महाकुम्भ में नहीं होगा। इसकी जगह पर गंगा पंडाल समेत तीन पंडालों में बड़े स्तर के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ने इस बार महाकुम्भ में ‘चलो मन गंगा यमुना तीर’ नहीं कराने का निर्णय लिया है जबकि इससे पहले प्रतिवर्ष होने वाले माघ मेला के साथ ही वर्ष 2013 और 2019 के कुम्भ में दस दिनों का यह सांस्कृतिक आयोजन होता रहा है। जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों से शास्त्रत्त्ीय, उपशास्त्रत्त्ीय के साथ ही लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं।