नई दिल्ली 22 नवंबर। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बृहस्पतिवार को पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) पर 50 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया। अदालत ने पाया कि डीजेबी यमुना नदी में मिलने वाले बरसाती पानी के नालों में सीवेज के बहाव को रोकने में विफल रहा है। कहा कि एमसीडी ने दक्षिण दिल्ली में बरसाती पानी के नाले की स्थितियों और कार्यात्मक प्रभावकारिता को बदलने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र से परे काम किया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां यमुना नदी में जाने वाले नालों में सीवेज के बहाव को रोकने में डीजेबी की ओर से विफलता को पहली बार देखा गया हो। पूर्व आदेशों से स्पष्ट है कि बार-बार निर्देश जारी किए गए। समय दिया गया, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद भी शामिल थे।
आदेश में कहा गया है कि आदर्श रूप से तूफानी पानी को उसके डिजाइन किए गए प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली के माध्यम से और सीवेज को सीवरेज नेटवर्क के माध्यम से प्रवाहित करना चाहिए। नदी में फेंकने से पहले एसटीपी में उपचारित किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि वर्षा जल नालियों में कच्चे सीवेज के कारण गंभीर जल प्रदूषण होता है। डीजेबी अपने वैधानिक कार्य के निर्वहन में विफल रहा है।
अधिकरण ने एमसीडी और डीजेबी दोनों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को दो महीने के भीतर लगभग 25.22 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि डीजेबी और एमसीडी से वसूल की गई पर्यावरण क्षतिपूर्ति की राशि का उपयोग सीपीसीबी द्वारा दिल्ली में हुई पर्यावरणीय क्षति के उपचार और बहाली के लिए किया जाएगा। एनजीटी ने कहा कि यह योजना एक संयुक्त समिति द्वारा तैयार की जानी है। इसमें सीपीसीबी और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिव, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का एक प्रतिनिधि और प्रधान मुख्य वन संरक्षक शामिल होंगे।