asd ऑस्ट्रेलिया की सरकार सोचे: किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए सोशल मीडिया बैन सही नहीं, ऑनलाइन गेमिंग और बच्चों को गलत संदेश देने वाले चैनलों पर हो प्रतिबंध की मांग

ऑस्ट्रेलिया की सरकार सोचे: किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए सोशल मीडिया बैन सही नहीं, ऑनलाइन गेमिंग और बच्चों को गलत संदेश देने वाले चैनलों पर हो प्रतिबंध की मांग

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ग्रामीण कहावत गरीब की जोरू सब की भाभी आजकल कुछ लोगों की निगाह में सोशल मीडिया की वो ही स्थान बनाने की कोशिश चरम पर की जा रही है। मैं यह तो नहीं कहता कि सोशल मीडिया से संबंध सभी बिंदु सही है और उसे बच्चों को अपनाना चाहिए मगर यह जरूर कह सकता हूं कि अगर इसके नुकसान है तो फायदे उससे नौ गुना ज्यादा है। इससे यह कहा जा सकता है कि सभी के लिए सोशल मीडिया पर कुछ भी बैन नहीं किया जाना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया की संसद में पहला ऐसा बिल पेश हुआ जिसके मुताबिक 16 साल से कम के बच्चों के लिए इसको बैन किए जाने की बात सामने आ रही है। यूके भी एक खबर के अनुसार ऐसे प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है। जिस तरह से सबको अपनी बात रखने का अधिकार है उसी प्रकार सोशल मीडिया के बारे में भी निर्णय लेने का अधिकार है। इसलिए आस्ट्रेलिया की संसद और यूके की तेयारी को गलत नहीं कह सकते।
एक बात कही जा सकती है कि जिन बातों पर रोक लगायी जाती है उनके प्रति जिज्ञासा बढ़ती और उसे प्राप्त करने के लिए हर हथकंडा अपनाते हैं ऐसा ज्यादातर मामलों में देखने को मिलता है। एक खबर के अनुसार ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने गुरुवार को संसद में एक नया बिल पेश किया। इस बिल का उद्देश्य 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल प्रतिबंधित करना है। इसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए उल्लंघन पर 4.95 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 270 करोड़ रुपये) तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर बैन के लिए बिल लाने वाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश बन गया है।
इस प्रस्ताव के तहत ऑस्ट्रेलिया में एक उम्र सत्यापन प्रणाली का परीक्षण किया जाएगा, जिसमें बायोमेट्रिक्स या सरकारी पहचान पत्र को शामिल किया जा सकता है। यह किसी भी देश द्वारा अब तक लगाए गए सबसे सख्त नियमों में से एक होगा। इसमें माता-पिता की सहमति या पहले से मौजूद अकाउंट्स के लिए कोई छूट नहीं होगी।
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने इस बिल को एक ष्एतिहासिक सुधार करार देते हुए कहा, हमें पता है कि कुछ बच्चे इसके जुगाड़ ढूंढ़ सकते हैं, लेकिन हम सोशल मीडिया कंपनियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
यह प्रस्ताव मेटा प्लेटफॉर्म्स (इंस्टाग्राम और फेसबुक), बाइटडांस (टिकटॉक), एलन मस्क की एक्स (पूर्व में ट्विटर), और स्नैपचौट जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर प्रभाव डालेगा, हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया कि बच्चे मैसेजिंग, ऑनलाइन गेमिंग और स्वास्थ्य व शिक्षा से जुड़ी सेवाओं जैसे कि मनोवैज्ञानिक सहायता प्लेटफॉर्म, गूगल क्लासरूम और यूट्यूब का इस्तेमाल कर सकेंगे।
सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव
अल्बानीज के नेतृत्व वाली लेबर सरकार ने यह तर्क दिया कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। रिपोर्ट के मुताबिक करीब दो-तिहाई 14 से 17 वर्ष के ऑस्ट्रेलियाई बच्चों ने ऑनलाइन अत्यधिक हानिकारक सामग्री देखी है, जिसमें ड्रग्स, आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाना शामिल है।
मेरा मानना है कि किसी भी व्यक्ति के लिए सोशल मीडिया बैन सही नहीं है। बच्चों को इससे अच्छी शिक्षा मिले इसके लिए ऑस्ट्रेलिया या अन्य कोई सरकार बच्चों पर गलत प्रभाव डालने वाले चैनलों को प्रतिबंधित करने वाले या एक उम्र से ज्यादा के बच्चे उसे ना खोल पाए इस पर रोक लगाए और इस कड़ी में ऑनलाइन गेमिंग पोर्न फिल्में और जो अन्य तनाव में लाने वाली जानकारियां से संबंध चैनल है उन्हें प्रतिबंध करने की मांग की जाए और ना करने पर जुर्माने और कार्रवाई के तहत कदम उठाए जाएं मगर किसी के लिए सोशल मीडिया का उपयोग बैन करना इससे सबको होने वाले फायदे से वंचित करना है। क्योंकि पूर्व में जो काम लाखें रूपये देकर जानकारी प्राप्त की जाती थी अब वो बिना खर्च किए इंटरनेट के माध्यम से जानकारी ली जा सकती है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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