समाज हित में यह कितना सही और कितना गलत है यह तो शांति व्यवस्था और कानून का राज कायम करने तथा सांम्प्रदायिक सौहार्द्र और भाई चारा मजबूत करने में लगे लोग ही जाने। लेकिन आज कल आये दिन एक जाति विशेष के लोगों का नाम लेकर उनसे काम न कराने और सामान न खरीदने की जो खबरे पढ़ने को मिलती है इनके पीछे क्या कारण है यह हर समझदार व्यक्ति जानता है। और यह भी समझता है कि धार्मिक सामाजिक और हर तरह के समारोह में चाहे वो गाड़ी बैल हो या सजावट हो या अन्य सामान सौन्दर्यकरण का मंगाना हो कहीं न कहीं जिन लोगों को लेकर बात करते है उनका योगदान अनिवार्य महसूस होता है। फिर भी यह भावना हमें कहां ले जाएगी यह तो चर्चा करने और बयान देने वाले ही जानें। मगर फिलहाल जो खबरें सुनने पढ़ने को मिल रही है और जिनके बारे में बिना कहे लोग हिंट दे रहे है वो ही उनके और अपने हित में शांति व भाईचारे को खराब करने में काफी खतरनाक भविष्य में हो सकती है। क्योंकि इनको लेकर बयानवीरों और धार्मिक सामाजिक तथा शैक्षिक संस्थाऐं चला रहे लोगों के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अब या तो सरकार शासन और प्रशासन जातिसूचक शब्दों से बयान और उनके संबंध समाचारों के प्रकाशन को रोकने का आग्रह जनहित में प्रभावी रूप से करें। या फिर जिन धार्मिक संस्थाओं में जिन लोगों को लेकर हंगामा हो रहा है और उनसे काम न कराने की बात चल रही है उन्हें अपनी संस्थाओ से कुछ समय के लिए बाहर करें। क्योंकि कई खबरें सुनने को मिल रही है कि फलां धार्मिक संस्था में कई कई ऐसे लोग काम कर रहे है जिन से सार्वजनिक रूप से सहयोग न लेने का आग्रह किया जा रहा हैं। मगर धार्मिक संस्थाओं के संचालक नाम बदलवाकर अपने यहां काम करा रहे है। इससे संबंध कुछ समाचार भी प्राप्त हुए है जिनका प्रकाशन जनहित में प्रचारित करना न तो समाज हित में और न ही शांति तथा भाईचारे और सद्भाव के।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
नाम बदलकर काम कराने वाली धार्मिक संस्थाऐं हो जाए सावधान और जनहित में ले निर्णय
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